अहमदाबाद में एयर इंडिया के बोइंग 787-8 का क्रैश होना केवल एक हादसा नहीं, बल्कि बोइंग की लंबे समय से चली आ रही समस्याओं, भारत में सुरक्षा मानकों की जांच की खामियों और मुनाफे की हवस का नतीजा है। 265 इंसानों की ज़िंदगी को देखते-देखते राख में बदल देने वाले इस हादसे पर गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है कि ‘हादसे को कोई रोक नहीं सकता’, लेकिन क्या सचमुच हादसों का कोई ज़िम्मेदार नहीं होता?
विमान हादसा: मुनाफ़े की हवस का शिकार हुआ बोइंग!
- विश्लेषण
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- 13 Jun, 2025

अहमदाबाद में एयर इंडिया के विमान हादसे ने बोइंग की मुनाफाखोरी पर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या सुरक्षा से समझौता कर केवल लाभ कमाने की होड़ में कंपनियाँ यात्रियों की जान जोखिम में डाल रही हैं? जानिए पूरी रिपोर्ट।
गृहमंत्री का बयान हादसों को ईश्वरीय इच्छा मानने जैसा लगता है, जबकि हादसे हमेशा सिस्टम की विफलता का नतीजा होते हैं। एक समय था जब ऐसे हादसों के बाद मंत्री इस्तीफा दे देते थे, जैसे लाल बहादुर शास्त्री ने रेल दुर्घटना के बाद किया था। लेकिन आज ज़िम्मेदारी तय करने की बात कम ही होती है। नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने जाँच शुरू होने की पुष्टि की, लेकिन सवाल यह है कि क्या यह हादसा टाला जा सकता था?