दुनिया भर में रंगभेद मुक्ति संघर्ष की प्रेरणा बने महात्मा गांधी के देश भारत में, आजादी के 77 साल बाद भी रंगभेद अपनाए जाने का मुद्दा उठाया जाना यह दर्शाता है कि हमारे समाज में त्वचा के रंग और जातिगत भेदभाव जैसी गंभीर समस्याएँ गहराई से जड़ें जमाए हुए हैं। यह और भी आश्चर्यजनक है कि यह सवाल देश के सबसे प्रगतिशील राज्य केरल की मुख्य सचिव, शारदा मुरलीधरन, द्वारा स्वयं उठाया गया है। इससे स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) द्वारा सामाजिक समरसता को लेकर किए जा रहे दावे महज़ खोखले हैं।
केरल की मुख्य सचिव से रंगभेद: कहां हैं संस्कारियों के समरसता वाले दावे?
- विश्लेषण
- |
- |
- 5 Apr, 2025

केरल की मुख्य सचिव शारदा मुरलीधरन ने नस्लीय और जाति-आधारित पूर्वाग्रह के खिलाफ़ बोला है। देश में इस व्यापक चर्चा शुरू हो गई है। लेकिन आरएसएस और बीजेपी सामाजिक समरसता के जो दावे करते हैं, वे दावे अब शारदा मुरलीधरन के तथ्यों के सामने खोखले साबित हो रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार अनंत मित्तल की टिप्पणीः