क्या कृष्णानंद राय के पैरोकारों ने ज़्यादा चतुर, ज़्यादा समर्थ और ज़्यादा जानकार होने की क़ीमत चुकाई जिससे कि राय व अन्य की हत्या के सारे अभियुक्त सीबीआई कोर्ट से बरी हो गये। वह भी तब जब केंद्र और राज्य में उस दल (बीजेपी) का प्रचंड बहुमत है जिसके राय विधायक थे। 
29 नवम्बर 2005 को ग़ाज़ीपुर में मोहम्मदाबाद के विधायक कृष्णानंद राय की हत्या हुई थी और उनके साथ छह और लोग मारे गए थे। तब राय अपने क्षेत्र में एक क्रिकेट मैच का उद्घाटन करने गये थे और वहाँ से लौट रहे थे। वह और उनके सहयोगी दो क्वालिस गाड़ियों में सवार थे। सियारी गाँव के पास उनके सामने से एक टाटा सूमो कार आई जिसने उनका रास्ता रोक लिया।