15 सितंबर 2025 को पूर्णिया, बिहार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक रैली को संबोधित करते हुए घुसपैठ के मुद्दे को जोर-शोर से उठाया। बिहार इन दिनों विपक्ष के “वोट चोर, गद्दी छोड़” नारे और विशेष गहन मतदाता सूची संशोधन (SIR) के मुद्दे से गरमाया हुआ है। राहुल गांधी और अन्य विपक्षी नेताओं ने SIR के खिलाफ एक बड़ी यात्रा निकाली थी, जिसे पीएम मोदी ने “घुसपैठियों को बचाने” की कोशिश करार दिया।
'ध्रुवीकरण' के इरादे से कमियों पर ‘घुसपैठ’ का पर्दा डाल रहे हैं मोदी!
- विश्लेषण
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- 17 Sep, 2025

विपक्ष का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी ध्रुवीकरण की राजनीति के लिए ‘घुसपैठ’ का मुद्दा उठा कर सरकार की नाकामियों पर पर्दा डाल रहे हैं। पूरी राजनीतिक बहस जानें।
प्रधानमंत्री ने कहा, “सीमांचल और पूर्वी भारत में घुसपैठियों के कारण डेमोग्राफी का कितना बड़ा संकट खड़ा हो गया है। बिहार, बंगाल और असम के लोग अपनी बहन-बेटियों की सुरक्षा के लिए चिंतित हैं। कांग्रेस और राजद घुसपैठियों की वकालत कर रहे हैं। उन्हें बचाने के लिए नारे लगा रहे हैं, यात्राएं निकाल रहे हैं। जो लोग घुसपैठियों की ढाल बनते हैं, वे सुन लें कि इस देश में भारत का कानून चलेगा।”
अजीब बात है कि 11 साल से केंद्र में और बिहार-असम में बीजेपी की सरकार होने के बावजूद, घुसपैठ का जिम्मा विपक्ष पर डाला जा रहा है। अगर “भारत में कानून नहीं चल रहा,” जैसा पीएम दावा करते हैं, तो यह किसकी नाकामी है? बिहार में बीजेपी-जेडीयू गठबंधन और असम में बीजेपी की सरकार है। अगर बहन-बेटियों की सुरक्षा खतरे में है, तो जिम्मेदारी किसकी? और डेमोग्राफी बदलने की बात का आधार क्या है, जब 2011 के बाद जनगणना हुई ही नहीं? क्या यह जनता को गुमराह करने की कोशिश है?