भारत में एक समय कहावत थी, “नौकरी में टाटा और जूते में बाटा—सबसे ज़्यादा टिकाऊ।” लेकिन समय बदल गया है। टाटा समूह की टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस), भारत की सबसे बड़ी आईटी कंपनी है। टीसीएस ने जुलाई 2025 में अपने वैश्विक कार्यबल के 2% यानी 12,000 कर्मचारियों की छँटनी की घोषणा की। यह छँटनी खास तौर पर मिड और सीनियर-लेवल कर्मचारियों को प्रभावित कर रही है— वे लोग जो अपने करियर के उस पड़ाव पर हैं, जहाँ बच्चों की पढ़ाई और घर की ईएमआई जैसी ज़िम्मेदारियाँ चरम पर होती हैं। नौकरी छूटना उनके लिए सिर्फ आर्थिक नुकसान नहीं, बल्कि एक बड़ा भावनात्मक और सामाजिक झटका है।
अर्थव्यवस्था के लिए बुरा संकेत है टीसीएस में 12000 कर्मचारियों की छँटनी
- विश्लेषण
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- 4 Aug, 2025

टीसीएस में 12000 कर्मचारियों की छँटनी
TCS जैसी आईटी दिग्गज कंपनी में 12,000 कर्मचारियों की छँटनी क्या भारत की अर्थव्यवस्था में मंदी या तकनीकी बदलाव का संकेत है? जानिए इस बड़े फैसले का प्रभाव नौकरी बाजार, निवेश और आर्थिक नीतियों पर।
टीसीएस की स्थिति
- 2024 में टीसीएस फॉर्च्यून इंडिया 500 सूची में सातवें स्थान पर थी और बाजार पूँजीकरण के आधार पर भारत की सबसे मूल्यवान कंपनियों में से एक है।
- सितंबर 2021 में, टीसीएस पहली भारतीय आईटी कंपनी बनी, जिसका बाजार पूँजीकरण 200 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचा।
- 31 मार्च 2025 तक, टीसीएस में 607,979 कर्मचारी थे, जिनमें 152 राष्ट्रीयताओं के लोग शामिल थे, और 35.6% कर्मचारी महिलाएँ थीं। यह भारत के निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी नियोक्ताओं में से एक है।
छँटनी के कारण
आर्थिक अनिश्चितता: टीसीएस ने अप्रैल 2025 की तिमाही में बताया कि अमेरिका में टैरिफ से जुड़ी अनिश्चितताओं और यूएस फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती में देरी के कारण क्लाइंट्स प्रोजेक्ट्स को धीमा कर रहे हैं। 7 अगस्त 2025 से लागू नए टैरिफ्स ने अमेरिकी क्लाइंट्स को बड़े प्रोजेक्ट्स टालने या मौजूदा कॉन्ट्रैक्ट्स को बढ़ाने से रोका। परिणामस्वरूप, टीसीएस की उत्तरी अमेरिका से कुल कॉन्ट्रैक्ट वैल्यू (TCV) 6.8 बिलियन डॉलर से घटकर 4.4 बिलियन डॉलर हो गई।
एआई का प्रभाव: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और ऑटोमेशन ने कोडिंग, डेटा एनालिसिस, और कस्टमर सपोर्ट जैसे पारंपरिक कामों को अपने कब्जे में ले लिया है। हालाँकि, टीसीएस ने कहा कि छँटनी का सीधा संबंध एआई से नहीं है, विशेषज्ञों का मानना है कि एआई पारंपरिक नौकरियों को ख़तरे में डाल रहा है।
कॉस्ट-कटिंग: टीसीएस ने छँटनी को लागत कम करने की रणनीति का हिस्सा बताया, ताकि क्लाइंट्स को बिना रुकावट सेवाएँ दी जा सकें।
प्रोटेक्शनिज्म: अमेरिका में प्रोटेक्शनिस्ट नीतियों ने गैर-अमेरिकी कर्मचारियों को काम पर रखना मुश्किल कर दिया है, जिसका असर भारतीय आईटी कंपनियों पर पड़ रहा है।