असम का नाम चुनाव आयोग की मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन (SIR) के दूसरे चरण से अचानक बाहर कर दिया गया। इस फैसले ने राज्य की राजनीतिक दुनिया में तमाम अटकलों को जन्म दे दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि भाजपा सरकार, जो पहले से ही नागरिकता विवादों और हालिया राजनीतिक उथल-पुथल से जूझ रही है, इस संशोधन की 'गर्मी' को बर्दाश्त नहीं कर पा रही। असम विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष जॉयदीप बिस्वास की राय में, यह फैसला भाजपा के लिए 2026 विधानसभा चुनावों से पहले एक बड़ी राहत है, क्योंकि SIR के जरिए मतदाता सूची से नाम हटने पर राज्य सरकार के लिए घातक स्थिति पैदा हो सकती थी। प्रोफेसर बिस्वास की बात को द हिन्दू अखबार ने सोमवार को प्रकाशित किया है।
असम में SIR कराने से बीजेपी और हिमंता भाग क्यों रहे हैं, असमिया प्रोफेसर का विश्लेषण
- असम
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- 3 Nov, 2025

Assam SIR Latest: तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल एसआईआर के खिलाफ खुलकर सामने आ गए हैं। वहां अगले साल विधानसभा चुनाव है। लेकिन अगले साल तो असम में भी चुनाव है। वहां एसआईआर क्यों नहीं। प्रोफेसर जॉयदीप बिस्वास विश्लेषण कर रहे हैंः

असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा



















