Bihar Election 2025 बिहार विधानसभा चुनाव में दूसरे चरण का मतदान मंगलवार 11 नवंबर को 20 जिलों की 122 सीटों पर है। एनडीए के लिए 2020 की अपनी 66-68 सीटों की बढ़त को बचाए रखना एक कठिन चुनौती है। पटना से वरिष्ठ पत्रकार समी अहमद की रिपोर्टः
बिहार में मंगलवार को दूसरे और अंतिम चरण का मतदान है
बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे और अंतिम चरण में 20 जिलों की जिन 122 सीटों पर 11 नवंबर को मतदान होना है वहां एनडीए के लिए चुनौती है कि वह 2020 में मिली बढ़त को बरकरार रखे। पहले चरण की 121 सीटों पर 2020 में महागठबंधन आगे था। इन 122 सीटों के बारे में एक दिलचस्प आंकड़ा यह बताया गया है कि इनमें से 15 सीटों पर तीन हजार और तीन सीटों पर एक हजार से भी कम वोटों से फैसला हुआ था।
मोटे तौर पर यह माना जा रहा है कि एनडीए को 2020 में इन सीटों में से 66 पर जीत मिली थी जबकि महागठबंधन का आंकड़ा 49 पर रुक गया था। अगर इन आंकड़ों में एआईएमआईएम के चार विधायकों के पाला बदलकर आरजेडी में चले जाने को जोड़ने पर महागठबंधन का आंकड़ा 53 तक पहुंच जाता है। तब राजद ने इस चरण की 33 सीटें जीती थीं और बाद में उसके चार विधायक और हो गए थे। इस चरण में कांग्रेस को 11 सीटें और सीपीआईएमएल को 5 सीटें मिली थीं।
2020 में इस चरण की सीटों में भारतीय जनता पार्टी को 42 और जदयू को 20 सीटों पर जबकि जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा को चार सीटों पर जीत मिली थी। एक निर्दलीय के समर्थन और बसपा के टिकट पर चुने गए एक विधायक के जदयू ज्वाइन करने से एनडीए का आंकड़ा 68 तक पहुंचता है।
इस चरण में एनडीए की तरफ से सबसे ज्यादा 53 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी चुनाव लड़ रही है जबकि दूसरे स्थान पर जदयू 44 सीटों पर चुनाव लड़ रहा है। चिराग पासवान की लोजपा (रामविलास) 15, उपेंद्र कुशवाहा का राष्ट्रीय लोक मोर्चा चार और जीतन राम मांझी का हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा 6 सीटों पर चुनावी मैदान में हैं।
महागठबंधन की ओर से दूसरे चरण में भी आरजेडी सबसे ज्यादा 71 सीटों पर चुनाव लड़ रहा है। कांग्रेस 37, सीपीआईएमएल 6 और सीपीएम दो सीटों पर अपनी किस्मत आ रहे हैं। सीपीआई के 6 उम्मीदवार मैदान में माने जा रहे हैं।
पहले चरण में मोटे तौर पर गंगा के किनारे और उससे कुछ दूर के मध्य बिहार के जिलों में वोटिंग हुई थी। 11 नवंबर को दूसरे और अंतिम चरण में 20 जिलों कि जिन 122 सीटों पर वोटिंग होनी है उनमें ज्यादातर जिले बाहरी हिस्से और सीमावर्ती बिहार के हैं।
इस चरण के अगर सबसे चर्चित इलाके की बात की जाए तो वह सीमांचल के चार जिले- अररिया, पूर्णिया, किशनगंज और कटिहार हैं। यहां असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम की वजह से चुनावी समीकरण अलग माना जाता है। यहां की 24 सीटों में पिछली बार ओवैसी की पार्टी ने वैसे तो पांच सीटें जीती थीं लेकिन उसके चार विधायक बाद में राजद में चले गए थे। माना गया था कि पिछली बार ओवैसी की पार्टी वजह से सीमांचल में महागठबंधन को घाटा हुआ और एनडीए ने यहां बढ़त हासिल की थी। एनडीए ने तब 12 सीटों पर कब्जा किया था।
इस चरण में मगध कमिश्नरी के पांच जिलों गया, जहानाबाद, औरंगाबाद, अरवल और नवादा में भी दोनों गठबंधनों के बीच अच्छी टक्कर की संभावना बताई जा रही है।
पिछली बार एनडीए को जहां सबसे अच्छी बढ़त मिली थी वह इलाका चंपारण का था, जहां पूर्वी और पश्चिम चंपारण की 21 सीटों में से 17 पर एनडीए को जीत हासिल हुई थी। इसी तरह अंगिका भाषी भागलपुर और बांका की 12 में से 9 सीटों पर एनडीए ने जीत हासिल की थी। नेपाल के सीमावर्ती जिलों सीतामढ़ी और शिवहर की 9 सीटों में से 6 एनडीए ने जीती थीं। दूसरे चरण में मधुबनी जिले में भी चुनाव होना है जहां एनडीए ने 10 में से 8 सीटें जीती थीं। सीमांचल से सटे सुपौल में तो एनडीए ने पांच में पांच जीत हासिल कर महागठबंधन का सुपड़ा साफ कर दिया था।
इसके अलावा काराकाट इलाके के कैमूर और रोहतास जिले में भी दिलचस्प मुकाबला हो सकता है जहां राष्ट्रीय लोक मोर्चा के उपेंद्र कुशवाहा की पत्नी स्नेहलता कुशवाहा भी उम्मीदवार हैं। कहा जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में उपेंद्र कुशवाहा को जैसी हार का सामना करना पड़ा था उससे सबक लेते हुए एनडीए ने इस बार इस इलाके में ऐसी व्यवस्था की है जिसका फायदा उसे हो सकता है। 2020 के विधानसभा चुनाव में रोहतास और कैमूर की सभी 11 सीटों पर एनडीए को हार मिली थी।
दूसरी तरफ, यह कहा जा रहा है कि इस बार अगर महागठबंधन ने ढंग से कोशिश की होगी तो चंपारण में उसे बीजेपी को हराने में कामयाबी मिल सकती है। इस इलाके में कांग्रेस से अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद की जा रही है।
वैसे तो बिहार में जन सुराज को अब किसी ने गंभीरता से लेना बंद कर दिया है लेकिन कहा जा रहा है कि इस चरण में सीमांचल की जोकीहाट सीट पर तस्लीमुद्दीन के पुत्र सरफराज अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं। इसी तरह प्रशांत किशोर के गृह जिले की सीट करहगर पर गायक रितेश पांडे से भी अच्छी उम्मीद की जा रही है।