Bihar Elections 2025 Latest: झारखंड मुक्ति मोर्चा ने आरजेडी के साथ सीट बंटवारे पर बातचीत विफल होने के बाद, महागठबंधन से नाता तोड़ लिया है। उसने बिहार की छह सीटों पर लड़ने की घोषणा की है।
झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के अध्यक्ष और सीएम हेमंत सोरेन
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर विपक्षी ‘महागठबंधन’ (INDIA Bloc) में दरार बढ़ गई है। झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने शनिवार को घोषणा की कि वह अब महागठबंधन से अलग होकर बिहार की छह सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली इस पार्टी का यह फैसला राजद (RJD) के साथ सीट बंटवारे पर हुई बातचीत के विफल होने के बाद सामने आया है। इससे पहले पशुपति कुमार पारस की पार्टी ने भी महागठबंधन से अलग होने का ऐलान किया था। अब आरजेडी, कांग्रेस के साथ मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) बची है। महागठबंधन के दल कम से कम 7 सीटों पर एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं।
जेएमएम महासचिव और प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने बताया कि पार्टी चकाई, धमदाहा, कटोरिया, पीरपैंती, मनीहारी और जमुई सीटों पर चुनाव लड़ेगी। उन्होंने कहा कि पार्टी ने महागठबंधन के सभी साथियों, विशेष रूप से राजद से आग्रह किया था कि जिन इलाकों में जेएमएम के कार्यकर्ता वर्षों से सक्रिय हैं, वहां सीटों पर समझदारी दिखाई जाए, लेकिन बात आगे नहीं बढ़ पाई।
भट्टाचार्य ने यह भी याद दिलाया कि जेएमएम ने 2019 के झारखंड विधानसभा चुनावों में राजद और कांग्रेस का समर्थन किया था, और गठबंधन धर्म निभाने के लिए कई सीटें छोड़ी थीं। “हमारे सहयोग से एक राजद विधायक को झारखंड में मंत्री बनाया गया। अब जबकि बिहार चुनाव सामने हैं, हमने छह सीटें और एक मंत्री पद का प्रस्ताव दिया था, लेकिन कोई सहमति नहीं बनी।”
इससे पहले झारखंड के मंत्री सुदीव्य कुमार सोनू ने बताया था कि पार्टी ने बिहार की कुछ सीमावर्ती सीटों पर चुनाव लड़ने की इच्छा तेजस्वी यादव के सामने रखी थी, लेकिन 6 अक्टूबर को हुई INDIA गठबंधन की बैठक में इस पर कोई नतीजा नहीं निकला। इसके बाद जेएमएम ने स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने का फैसला लिया है और झारखंड की सीमा से लगे आदिवासी बहुल इलाकों में अपनी पकड़ मजबूत करने की रणनीति अपनाई है।
महागठबंधन के भीतर यह ताज़ा टूट ऐसे समय आई है जब आरजेडी, कांग्रेस, वाम दलों और अन्य सहयोगी दलों के बीच सीट बंटवारे को लेकर खींचतान जारी है। सूत्रों के मुताबिक, अब तक अंतिम सूची पर सहमति नहीं बन पाई है, जबकि चुनाव दो चरणों में 6 और 11 नवंबर को होंगे, और गिनती 14 नवंबर को होगी।
राजद नेतृत्व वाले गठबंधन में छोटे दलों की नाराज़गी बढ़ती दिख रही है। कुछ वामपंथी नेताओं ने भी कहा है कि सीटों पर जल्द समझौता नहीं हुआ तो छोटे दल "स्वतंत्र विकल्प" पर विचार कर सकते हैं। वहीं कांग्रेस अभी तक 48 प्रत्याशियों की घोषणा से आगे नहीं बढ़ पाई है।
जेएमएम का अलग होना महागठबंधन के लिए झटका माना जा रहा है, खासकर बिहार-झारखंड की सीमा से सटे इलाकों में, जहां पार्टी का पारंपरिक जनाधार है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह कदम विपक्षी एकता पर सवाल खड़े कर रहा है और INDIA गठबंधन के भीतर तालमेल की कमी को उजागर कर रहा है।
जेएमएम अब बिहार चुनाव के साथ-साथ झारखंड की घाटशिला विधानसभा उपचुनाव (11 नवंबर) की तैयारी में जुट गई है, जो पार्टी का पुराना गढ़ माना जाता है। उधर, राजद नेतृत्व उम्मीद कर रहा है कि शेष सहयोगियों को साथ लेकर सीट बंटवारे की अंतिम घोषणा जल्द कर दी जाएगी, ताकि महागठबंधन का जनाधार कायम रहे।
पारस भी अलग, 33 प्रत्याशी उतारेंगे
पूर्व केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (आरएलजेपी) के अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस ने महागठबंधन से अलग होने का ऐलान किया है। उन्होंने अपनी पार्टी के 33 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की घोषणा की, जो मुख्य रूप से दलित बहुल क्षेत्रों पर केंद्रित हैं। यह फैसला सीट-बंटवारे को लेकर आरजेडी और अन्य सहयोगियों के साथ बातचीत विफल होने के बाद लिया गया।
पारस ने कहा, "इस बार भी हम लोगों ने महागठबंधन के साथ गठबंधन करने का प्रयास किया लेकिन गठबंधन नहीं हो सका।" उन्होंने 2005 के विधानसभा चुनाव का हवाला देते हुए बताया कि उस समय उनकी पार्टी ने अकेले 29 सीटें जीती थीं, और अब भी संगठन मजबूत है। पारस ने जोर देकर कहा कि महागठबंधन के साथ उनकी पार्टी अब नहीं लड़ेगी, बल्कि स्वतंत्र रूप से चुनाव मैदान में उतरेगी।
इससे पहले, अप्रैल 2025 में पारस ने एनडीए से नाता तोड़ लिया था और महागठबंधन में शामिल हो गए थे। लालू प्रसाद यादव से उनकी मुलाकातें भी हुईं, लेकिन सीट-शेयरिंग पर सहमति न बनने से यह गठबंधन टूट गया। पार्टी के प्रवक्ता श्रवण अग्रवाल ने कहा कि सभी विकल्प खुले हैं और जरूरत पड़ी तो सभी 243 सीटों पर अकेले लड़ सकते हैं।