Bihar Election Latest:बिहार विधानसभा चुनाव के लिए महागठबंधन ने लंबी बातचीत के बाद सीट बंटवारे को अंतिम रूप दे दिया है, जिसमें वीआईपी को 15 सीटें मिलेंगी। कांग्रेस ने 5 महिलाओं और 4 मुस्लिम उम्मीदवारों सहित 48 उम्मीदवारों की घोषणा की है।
मुकेश सहनी के साथ तेजस्वी यादव
लंबी बातचीत के बाद, महागठबंधन ने गुरुवार (16 अक्टूबर) देर रात बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के नामांकन की अंतिम समय सीमा से कुछ घंटे पहले अपने सहयोगियों के बीच सीट बंटवारे पर सहमति बना ली। मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) की नाराज़गी दूर करने में महागठबंधन के नेताओं को काफी मेहनत करना पड़ी। मुकेश सहनी ने दो बार प्रेस कॉन्फ्रेंस करके टाल दिया। अंत में जब वो 15 सीटों पर मान गए तो प्रेस कॉन्फ्रेंस पूरी तरह रद्द कर दी गई।
राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी), कांग्रेस और सीपीआई(एमएल) के बीच बातचीत गुरुवार देर रात तक चली। कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को अंतिम दौर की बातचीत के लिए बुलाया। काहलगांव, वैशाली और जाले की तीन सीटें आरजेडी और कांग्रेस के बीच विवाद का कारण बनी रहीं।
कांग्रेस ने गुरुवार रात 48 उम्मीदवारों की सूची जारी की, जिसमें 24 पहले चरण और 24 दूसरे चरण के लिए हैं। इस सूची में पांच महिला उम्मीदवार, चार मुस्लिम, नौ अनुसूचित जाति और एक अनुसूचित जनजाति उम्मीदवार शामिल हैं। बिहार कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम ने कुटुंबा और विधायक दल के नेता शकील अहमद खान ने कदवा सीट से अपनी उम्मीदवारी बरकरार रखी। अन्य प्रमुख नामों में पटना साहिब से शशांक शेखर, नालंदा से कौशलेंद्र कुमार, मुजफ्फरपुर से बिजेंद्र चौधरी, गोपालगंज से ओम प्रकाश गर्ग, बेगूसराय से अमिता भूषण, खगड़िया से चंदन यादव, बक्सर से संजय कुमार तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी, औरंगाबाद से आनंद शंकर सिंह और हरनौत से अरुण कुमार बिंद शामिल हैं। कांग्रेस ने अपने 11 मौजूदा विधायकों को फिर से मैदान में उतारा है।
सीपीआई(एमएल) ने 2020 में 19 में से 12 सीटें जीतने के आधार पर अधिक सीटों की मांग की थी। सूत्रों के अनुसार, उसे एक अतिरिक्त सीट मिलने की संभावना है। यानी उन्हें 20 सीटें मिल रही हैं।
मुकेश सहनी का रुठना और मानना
जब सहनी ने दोपहर में प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई, तो गठबंधन के सहयोगी एकजुट हुए। सूत्रों का कहना है कि आरजेडी सहनी की मांगों को मानने के मूड में नहीं थी, लेकिन सीपीआई(एमएल) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने गठबंधन को एकजुट रखने की वकालत की, भले ही इसके लिए एक-दो सीटों का त्याग करना पड़े। कांग्रेस ने भी इस रुख का समर्थन किया।
मुकेश सहनी का राहुल गांधी को पत्र
गुरुवार दोपहर तक, आरजेडी के अड़े रहने पर सहनी ने लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को पत्र लिखकर अपनी बात रखी। सहनी ने कहा कि उन्हें पहले 35, फिर 25 और अंततः 18 सीटों का वादा किया गया था। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा सीटों की संख्या का नहीं, बल्कि विचारधारा का है और वह "साम्प्रदायिक और विभाजनकारी ताकतों" के खिलाफ गठबंधन के साथ हैं। सूत्रों के अनुसार, राहुल गांधी के हस्तक्षेप के बाद आरजेडी ने वीआईपी को 15 सीटें देने पर सहमति जताई।
इसी बीच, सहनी की प्रेस कॉन्फ्रेंस पहले 4 बजे, फिर 6 बजे के लिए टाली गई और अंततः रद्द कर दी गई। दिनभर वीआईपी नेताओं ने मीडिया को बयान देकर अपनी पार्टी की चुनावी अहमियत पर जोर दिया। वीआईपी प्रवक्ता सुनील निषाद ने कहा कि निषाद जाति समूह, जिसका प्रतिनिधित्व उनकी पार्टी करती है, राज्य की कुल मतदाता आबादी का लगभग 10% है।
एनडीए में दरार को भूलकर बीजेपी का तंज
महागठबंधन में इस उहापोह ने सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को बोलने का मौका दे दिया। हालांकि एनडीए में खुद भारी असंतोष है। बिहार बीजेपी अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने तंज कसते हुए कहा, "लगता है सहनी को महागठबंधन से दूध की मक्खी की तरह निकाल दिया गया।" उन्होंने सहनी की निषाद समुदाय में स्वीकार्यता की भी तारीफ की।
मुकेश सहनी की पार्टी की राजनीतिक यात्रा
मुकेश सहनी, जो खुद को "मल्लाह का बेटा" कहते हैं, निषाद जाति के मल्लाह उप-जाति से आते हैं, जो अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) के अंतर्गत आता है। यह समुदाय मुख्य रूप से मिथिलांचल और सीमांचल क्षेत्रों में है। सहनी ने हिंदी फिल्म उद्योग में सेट डिजाइनर के रूप में काम करने के बाद 2015 में "निषाद विकास संघ" शुरू किया था, जो उस साल बीजेपी के लिए प्रचार करता था। बाद में निषाद समुदाय को अनुसूचित जाति में शामिल न करने के विरोध में उन्होंने बीजेपी से नाता तोड़ लिया और 2018 में वीआईपी की स्थापना की।2020 के बिहार चुनाव में, सहनी ने अंतिम समय में एनडीए में शामिल होकर सिमरी-बख्तियारपुर सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। फिर भी, उनकी पार्टी ने चार सीटें जीतीं। उन्हें नीतीश कुमार की कैबिनेट में पशुपालन और मत्स्य पालन मंत्री बनाया गया। हालांकि, चार में से तीन वीआईपी विधायक कार्यकाल के बीच में बीजेपी में शामिल हो गए। इस विश्वासघात से दुखी सहनी अप्रैल 2024 में महागठबंधन में लौट आए।