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तेजस्वी: ‘जंगलराज के युवराज’ पर क्या मिला जवाब

तेजस्वी गर्मजोशी से हमें बैठने के लिए कहते हैं। वहाँ उनके दो-तीन सलाहकार बैठे हुए मिलते हैं। चुनावी सभाओं की थकान का चेहरे पर कोई असर नहीं। सवालों के जवाब में बेहद इत्मीनान। तेजस्वी एक परिपक्व नेता की तरह सवालों का सीधा जवाब देना या टाल जाना या घुमा फिराकर जवाब देने सीख चुके हैं। लालू प्रसाद के न होने के असर के सवाल का सीधा जवाब नहीं देकर कहते हैं चुनाव तो पार्टी लड़ती है...
समी अहमद

महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव के घर के बाहर रविवार की रात दस बजे गाड़ियों का तांता लगा है। अंदर तेजस्वी से मिलने आये नेताओं के समर्थक कुर्सियों पर बैठे चुनावी गणित समझ-समझा रहे हैं। कोई मोबाइल पर वीडियो में तेजस्वी का भाषण सुन रहा है तो कोई चुनावी विश्लेषण देख रहा। कुछ ही देर में एक ट्रे में चाय आती है। किसी को पानी की ज़रूरत है। सबकी बात रखी जाती है।

पटना के प्रमुख अख़बारों के वरिष्ठ संवाददाता और एक संपादक भी पहुँचते हैं। तेजस्वी के आवास के बाहर दोनों भाइयों की तसवीर लगी है जिसपर लिखा है बिहार के दो अनमोल रत्न। फ़िलहाल तेज प्रताप का अधिक ध्यान अपनी सीट हसनपुर पर लगा है। हम जब बाहर बैठे तो मालूम हुआ कि राघोपुर के लिए भी रणनीति पर चर्चा हो रही है जहाँ से तेजस्वी प्रसाद यादव ख़ुद उम्मीदवार हैं।

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तेजस्वी से बात करने के लिए थोड़ा इंतज़ार करना पड़ता है। जिस कमरे में तेजस्वी की मीटिंग चल रही है उसके बाहर भी एक सज़ा-सँवरा कमरा है। यहाँ लालू और राबड़ी देवी की तसवीरें लगी हैं। टेबल पर काँच की सुनहरे रंग की लालटेन।

चाय-कॉफी के बाद आरजेडी की इवेंट टीम के लोग पहुँचते हैं। बातचीत से ऐसा लगता है कि इनके ज़िम्मे अब साठ सीटों का काम बचा हुआ है। सब काफ़ी हंसी-ठिठोली के मूड में हैं। आवाज़ से बिहार के बाहर के लगते हैं। उनकी आवभगत के लिए टीम लगी हुई है। कुछ ही देर में सीटों का हिसाब-किताब लगना शुरू हो जाता है। उनमें से एक का कहना है 150 पार हो जाएगी। दूसरे ने कहा कि कम भी होगी तो 135। 

सवाल कांग्रेस का उठता है। किसी ने कहा कि पिछली बार कांग्रेस ने 40 सीटें जीती थीं तो इस बार भी 25-30 रहेगी। मगर तीसरे व्यक्ति ने कहा- बदले हुए समीकरण भी तो देखो। हमेशा एक जैसा रिजल्ट नहीं आता। पहले ने कहा कि जब हवा चलती है तो उसमें कमज़ोर को भी पंख लग जाते हैं, इसलिए आरजेडी की हवा में कांग्रेस भी निकल जाएगी।

मगर आरजेडी की इवेंट टीम को शायद कम्युनिस्ट दलों में कोई दिलचस्पी नहीं क्योंकि उसकी चर्चा बिल्कुल नहीं होती।

कुछ देर बाद तेजस्वी से मुलाक़ात होती है। तेजस्वी गर्मजोशी से हमें बैठने के लिए कहते हैं। वहाँ उनके दो-तीन सलाहकार बैठे हुए मिलते हैं। चुनावी सभाओं की थकान का चेहरे पर कोई असर नहीं। सवालों के जवाब में बेहद इत्मीनान। तेजस्वी एक परिपक्व नेता की तरह सवालों का सीधा जवाब देना या टाल जाना या घुमा फिराकर जवाब देने सीख चुके हैं। लालू प्रसाद के न होने के असर के सवाल का सीधा जवाब नहीं देकर कहते हैं चुनाव तो पार्टी लड़ती है। हम मुद्दे पर चुनाव लड़ रहे हैं।

tejashvi yadav reply to modi jungalraj ka yuvraj jibe in bihar poll cam - Satya Hindi

मोदी पर क्या बोले?

मैं उनसे जंगलराज के युवराज के प्रधानमंत्री मोदी के कटाक्ष पर सवाल करता हूँ तो वह अपने 18 महीने के उप मुख्यमंत्री रहने के दौरान किये गये कामों का ज़िक्र करते हैं। चिराग पासवान द्वारा तेजस्वी को छोटा भाई कहने के सवाल पर कहते हैं कि हमारे पारिवारिक संबन्ध हैं मगर राजनीति अपनी जगह है।

इस सवाल पर कि चिराग नीतीश से अलग लेकिन एनडीए के साथ हैं, तेजस्वी कहते हैं कि इससे पता चलता है कि एनडीए में सबकुछ ठीक नहीं है।

देखिए, 'आशुतोष की बात' में क्या तेजस्वी के जाल में फँसे मोदी?

अपनी पार्टी को ए टू जेड कहने का क्या मतलब है? तेजस्वी का जवाब सधे हुए नेता की तरह मिलता हैः हमारी पार्टी बिहार के 12 करोड़ लोगों की पार्टी है, जाति-धर्म और लिंग के भेदभाव के बिना। तेजस्वी ने अपने भाषण में नौकरी के साथ ईकार (जिन शब्दों के अंत में ‘ई’ की मात्रा आए) वाली बातें बखूबी करते हैं। हमारी बातचीत में उन्होंने पढ़ाई-कमाई-दवाई-सिंचाई सबकी व्यवस्था करने का नारा दोहराया।

मैं उनसे उनकी पढ़ी हुई अंतिम किताब के बारे में पूछता हूँ तो कहते हैं कि अभी तो समय नहीं मिल रहा लेकिन पिछली बार डॉ. राम मनोहर लोहिया की जीवनी पढ़ी थी।

तेजस्वी यादव कहते हैं कि आजकल रात 2-3 बज जाता है। तो थकान कैसे मिटती है? उनका जवाब है कि बेड पर पड़ते ही नींद आ जाती है। हमारी मुलाक़ात का वक़्त ख़त्म होता है। हम जब बाहर निकलते हैं तो भी भीड़ जमी है। एक युवा कहता है मूड तो बंपर है। अब अंजाम तो ख़ुदा को ही मालूम होगा।

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समी अहमद
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