दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने महिलाओं को मेट्रो और डीटीसी बसों में फ़्री यात्रा का तोहफ़ा देने का ऐलान किया है। केजरीवाल सरकार के इस फ़ैसले की थोड़ी-बहुत आलोचना भी हुई है। विपक्षी राजनीतिक दलों ने आरोप लगाया है कि अगले साल की शुरुआत में होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव में वोट हासिल करने के लिए केजरीवाल सरकार ने इस योजना की शुरुआत की है।
कुछ लोगों ने यह भी कहा कि इससे टैक्स देने वालों पर बोझ पड़ेगा या कुछ ने कहा कि वरिष्ठ नागरिकों को इस सुविधा का लाभ क्यों नहीं दिया गया है। आपको याद होगा कि पिछले दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले भी आम आदमी पार्टी ने मुफ़्त बिजली-पानी (शर्तों के साथ) देने का वायदा किया था और इसका चुनाव में उन्हें सियासी लाभ भी हुआ था। तब विधानसभा चुनाव में आप को 70 में से 67 सीटें मिली थीं और बीजेपी को सिर्फ़ 3, जबकि 15 साल तक लगातार सत्ता में रही कांग्रेस का सूपड़ा साफ़ हो गया था। फ़्री यात्रा की इस योजना के ऐलान के बाद दिल्ली की कई महिलाओं ने इसे लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है। हफ़िंगटन पोस्ट में छपी एक ख़बर के मुताबिक़, एक महिला ने इस फ़ैसले को लेकर कहा, ‘जब मैंने दिल्ली में पहली बार बस की यात्रा की, उस समय मैं 17 साल की थी और वह दिल्ली विश्वविद्यालय में मेरा पहला दिन था। वह जुलाई की तपती दोपहर का समय था और मैं बदरपुर की ओर जा रही उस बस में अकेली लड़की थी। बस में मेरे सामने बैठे एक आदमी ने मुझे घूरा, मुझे याद है कि तब मैंने उसे डाँटा था। शायद यही वह कारण था जिसकी वजह से मैंने गाड़ी चलाना सीखा और अगले साल अपनी माँ से जिद कर कार ले ली।’
महिला ने कहा है कि जब केजरीवाल सरकार ने फ़्री यात्रा का ऐलान किया तो उन्हें सबसे पहले इसी घटना की याद आई। यह बात भी सही है कि हर कोई कार नहीं ख़रीद सकता या कहीं भी जाने के लिए प्राइवेट ऑटो रिक्शा नहीं ले सकता। और किसी भी ऐसी बस में जिसमें आप अकेली लड़की हों, यह बहुत डरावना अनुभव होता है। इस वजह से आपको कई बार अपने रास्ते बदलने होते हैं, शेड्यूल बदलने होते हैं और आप रात को निकलने से ख़ुद को रोकने की कोशिश भी करते हैं। यह ऐलान करते वक़्त केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में महिलाएँ असुरक्षित महसूस करती हैं, फ़्री यात्रा से वे सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करने के लिए आगे आएँगी। बस, मेट्रो का किराया ज़्यादा होने के कारण इनसे सफ़र करना उनके लिए बहुत आसान नहीं था लेकिन इससे उन्हें काफ़ी सुविधा होगी। हालाँकि केजरीवाल ने कहा है कि जो महिलाएँ अपना किराया देने में सक्षम हैं, वे इस सब्सिडी को छोड़ भी सकती हैं।
महिलाओं को फ़्री यात्रा देने की इस घोषणा के पीछे केजरीवाल की क्या मंशा है, इस बारे में अभी कुछ कहना मुश्किल होगा। लेकिन यह योजना दिल्ली जैसे शहर में जो महिलाओं के ख़िलाफ़ होने वाले अपराधों को लेकर बदनाम हैं, वहाँ पर महिलाओं को सहायता दे सकती है।
मानव विकास संस्थान की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, दिल्ली में 2011-12 में 15 साल से ऊपर की महिलाओं की नौकरियों में हिस्सेदारी 11.2% है, जो कि राष्ट्रीय औसत 25.51% से काफ़ी नीचे है। इससे यह पता चलता है कि दिल्ली में दफ़्तरों में काम करने वालों में महिलाओं की संख्या पुरुषों के मुक़ाबले काफ़ी कम है।
मनीष मदान और महेश के. नल्ला की ओर से 2016 में किए गए एक अध्ययन के मुताबिक़, 85% पुरुष और 64% महिलाएँ यह मानती हैं कि सार्वजनिक परिवहन महिलाओं के मुक़ाबले पुरुषों के लिए ज़्यादा बेहतर है। इसके अलावा इस अध्ययन में यह बात भी सामने आई है कि केवल 27% फ़ीसदी महिलाएँ सार्वजनिक परिवहन को सुरक्षित मानती हैं जबकि ऐसा मानने वाले पुरुषों की संख्या 51% है।
यह कहा जा सकता है कि बसों और मेट्रो में महिलाओं को फ़्री यात्रा देने की सुविधा से महिलाओं को आगे बढ़ने के अवसर मिल सकते हैं और दिल्ली को उनके लिए ज़्यादा सुरक्षित बनाया जा सकता है।
2017 में परिवहन और विकास नीति संस्थान की ओर से किए गए एक अध्ययन के मुताबिक़, सार्वजनिक परिवहन के दौरान यौन उत्पीड़न की घटनाओं को काफ़ी कम करके दिखाया जाता है, जबकि ऐसा नहीं होता।
महिलाओं की अधिकतर यात्राएँ बहुत छोटी होती हैं। जैसे वे कई बार बच्चों की देखभाल और पालन-पोषण से जुड़ी ज़िम्मेदारियों को लेकर कई जगहों पर आती-जाती हैं। ऐसे में यह उनके लिए ख़र्चीला होता है। और अगर उन्हें सस्ते परिवहन की सुविधा मिलती है तो यह उनके लिए बेहतर होगा।
विपक्ष की ओर से उठाई गई आपत्तियों के अलावा जो लोग ग़ैर-राजनीतिक हैं, उनकी भी इस योजना को लेकर कुछ असहमति है। उनका सुझाव है कि इस योजना को महिलाओं के बजाय बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए लागू किया जाना चाहिए।
इस सबके बावजूद यह कहा जा सकता है कि केजरीवाल सरकार की इस योजना से कैजुअल वर्कर्स और ऐसी महिलाएँ, जिनके पास अपने वाहन नहीं हैं और सार्वजनिक परिवहन में होने वाला ख़र्च उनके लिए ज़्यादा है, उन्हें फायदा होगा। इससे पहले दिल्ली सरकार बसों में महिलाओं के साथ होने वाली छेड़छाड़ को रोकने के लिए बसों में पैनिक बटन लगाने का भी वादा कर चुकी है। इसके अलावा बसों में मार्शल की भी तैनाती की गई है।