देश में विभिन्न चरणों में हो रहे लोकसभा चुनावों के छठे चरण के तहत 25 मई को हरियाणा में मतदान होगा। उत्तर भारत में हरियाणा में हालाँकि 10 लोकसभा सीटें ही हैं लेकिन राजनीतिक रूप से यह प्रदेश भाजपा के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि भाजपा को 2014 में 7 और 2019 में 10 सीटों पर एकतरफा जीत मिली थी। प्रदेश में पिछली दो बार से भाजपा सत्ता में है। अपनी सफलता को बनाए रखने की चुनौती भाजपा के लिए किसान आंदोलन, अग्निवीर योजना, महिला पहलवानों के आंदोलन, पुरानी पेंशन योजना, पेपर लीक मामला व बिगड़ती कानून व्यवस्था और सबसे गंभीर समस्या बेरोजगारी के चलते अबकी बार बहुत गंभीर है। चुनाव के शुरू होने के बाद से उठ रहे विभिन्न सामाजिक वर्गों के विरोध के स्वर दिन प्रतिदिन तीव्र होते धरातल पर साफ तौर पर सामने आने लगे हैं।
भारतीय जनता पार्टी ने हरियाणा में सता विरोधी रोष को ख़त्म करने के लिए चुनाव से ठीक पहले प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन कर के साढ़े नौ साल से चले आ रहे मनोहर लाल खट्टर को हटा कर नायब सैनी को मुख्यमंत्री बना दिया। भाजपा ने 5 लोकसभा सीटों- सिरसा, हिसार, कुरूक्षेत्र, करनाल, सोनीपत पर अबकी बार अपने प्रत्याशी बदल दिये हैं। लोकसभा की हर सीट पर परिस्थितियों को देखा जाये तो कहा जा सकता है कि भाजपा के लिए अबकी राह बहुत कठिन हो गयी है और लगभग 7 सीटों पर भाजपा फँस गयी है।
























