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आकार पटेल ने दायर की सीबीआई के ख़िलाफ़ कोर्ट की अवमानना याचिका

एमनेस्टी इंडिया के पूर्व प्रमुख आकार पटेल ने सीबीआई के ख़िलाफ़ लुक आउट सर्कुलर यानी एलओली वापस नहीं लेने के लिए अवमानना याचिका दायर की है। उन्होंने 7 अप्रैल के राउज एवेन्यू ज़िला अदालत के आदेश का पालन न करने के लिए सीबीआई के आईओ के ख़िलाफ़ अर्जी लगाई है। 

आकार पटेल को गुरुवार शाम को फिर से एयरपोर्ट पर रोक लिया गया जबकि कल ही अदालत ने सीबीआई से कहा था कि वह पटेल के ख़िलाफ़ जारी लुक आउट सर्कुलर तुरंत वापस ले और उनसे माफी भी मांगे। 

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आकार पटेल की याचिका में कहा गया है कि जब जाँच अधिकारी यानी आईओ हिमांशु बहुगुणा अदालत में मौजूद थे तो उनके वकील तनवीर अहमद मीर ने आईओ को बताया था कि पटेल मिशिगन विश्वविद्यालय में एक निर्धारित व्याख्यान के लिए 12.30 बजे फ्लाइट से जाना चाहते हैं। उसमें यह भी कहा गया है कि अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने मौखिक रूप से सीबीआई को पूरा सहयोग देने के लिए कहा था।

याचिका में आरोप लगाया गया है कि आदेश पारित होने के बावजूद जांच अधिकारी ने आदेश के अनुपालन के लिए उपलब्ध होने के बजाय अपना मोबाइल फोन बंद कर दिया था। याचिका में यह भी कहा गया है कि सीबीआई ने याचिकाकर्ता को परेशान करने और उसके मौलिक अधिकारों का दम घोंटने के स्पष्ट इरादे से काम किया है।

पटेल के वकीलों ने कहा कि सीबीआई ने याचिकाकर्ता के मौलिक अधिकारों से खिलवाड़ किया है और जख्म को कुरेदने की कोशिश की है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रतिवादी एजेंसी ने आवेदक को परेशान करने के अपने प्रयास में अदालत के आदेश की अवहेलना करने का विकल्प चुना है।
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बहरहाल, अब रिपोर्ट है कि सीबीआई आकार पटेल के ख़िलाफ़ जारी लुक आउट सर्कुलर को रद्द करने के अदालत के आदेश को चुनौती देगा। हालाँकि इसकी पुष्टि अभी सीबीआई की ओर से नहीं की गई है, लेकिन मीडिया में सूत्रों के हवाले से यह रिपोर्ट आई है।

लुक आउट सर्कुलर कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा हवाई अड्डों और बंदरगाहों में अधिकारियों को जारी किया गया एक अलर्ट होता है ताकि किसी भी वांछित व्यक्ति को देश छोड़ने से रोका जा सके।

पटेल ने कल शाम ट्वीट किया था कि अदालत द्वारा उन्हें राहत देने के आदेश के बावजूद उन्हें बेंगलुरु हवाई अड्डे पर उड़ान भरने से रोक दिया गया। विशेष अदालत द्वारा सीबीआई को उनके खिलाफ हवाईअड्डे का अलर्ट तुरंत हटाने का आदेश देने के कुछ ही समय बाद उन्होंने ट्वीट किया था। इस पर सूत्रों के हवाले से कहा गया कि विशेष अदालत का आदेश कल शाम क़रीब साढ़े चार बजे आया और एजेंसी को इसका पालन करने के लिए 24 घंटे का समय दिया गया है।
गुरुवार को अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट पवन कुमार ने कहा कि लुक आउट सर्कुलर यानी एलओसी जारी करना आरोपी के बहुमूल्य अधिकारों पर प्रतिबंध लगाने के लिए जांच एजेंसी का 'जानबूझकर किया गया कार्य' था।

उन्होंने कहा, 'इस मामले में सीबीआई के प्रमुख यानी सीबीआई निदेशक द्वारा अपने अधीनस्थ की ओर से की गई चूक को स्वीकार करते हुए एक लिखित माफी न केवल आवेदक के घावों को भरने में बल्कि प्रमुख एजेंसी में जनता के विश्वास को बनाए रखने में एक बड़ी भूमिका निभाएगी। ...आदेश की एक प्रति अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए सीबीआई निदेशक को भेजी जाए। उम्मीद है कि इस अदालत को आदेश के अनुपालन के बारे में विधिवत अवगत कराया जाएगा।' 

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अदालत ने कहा, 'एलओसी जारी करने के पक्ष में एकमात्र तर्क दिया गया कि यह आशंका है कि वह अभियोजन से बचने के लिए देश छोड़ सकते हैं। सीबीआई के अनुसार एलओसी को आरोपी के उड़ान के जोखिम होने के संदेह में जारी किया गया था... यदि आरोपी के उड़ान का जोखिम था तो उसे जांच के दौरान गिरफ्तार किया गया होगा। सीबीआई के स्टैंड में एक अंतर्निहित विरोधाभास है। एक तरफ सीबीआई का दावा है कि एलओसी जारी किया गया था क्योंकि आवेदक का उड़ान जोखिम था, और इसके विपरीत जांच के दौरान आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया गया था और बिना गिरफ्तारी के आरोप पत्र दायर किया गया था।'

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क़मर वहीद नक़वी
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