भारत के नागर विमानन नियामक प्राधिकरण, नागर विमानन महानिदेशालय यानी डीजीसीए ने सोमवार को आदेश जारी किया है कि देश में बोइंग विमानों के फ्यूल कंट्रोल स्विच की तत्काल जांच की जाए। यह आदेश हाल ही में हुए एयर इंडिया की उड़ान AI171 के अहमदाबाद में दुर्घटनाग्रस्त होने की प्रारंभिक जांच के बाद आया है। इस जाँच में फ्यूल कंट्रोल स्विच को लेकर सवाल उठे हैं। पायलट और को पायलट की वाइस रिकॉर्डिंग से पता चला है कि हादसे से पहले फ्यूल बंद हो गया था। इसी बीच अब डीजीसीए का आदेश आया है और इसने सभी भारतीय एयरलाइनों को 21 जुलाई तक इस जांच को पूरा करने और इसकी रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया है।

डीजीसीए का यह निर्देश 12 जून 2025 को अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया की बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर की दुर्घटना के बाद आया है। शुरुआती रिपोर्ट में कहा गया है कि इस हादसे में विमान के टेकऑफ के कुछ ही सेकंड बाद दोनों इंजनों में ईंधन की आपूर्ति अचानक बंद हो गई थी। इस कारण विमान एक मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल परिसर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। प्रारंभिक जांच में कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर से पता चला कि एक पायलट ने दूसरे से पूछा, 'आपने ईंधन क्यों बंद किया?' जिसका जवाब था, 'मैंने नहीं किया।' जांच में यह भी सामने आया कि ईंधन नियंत्रण स्विच 'रन' से 'कटऑफ' स्थिति में चले गए थे, जिसके कारण दोनों इंजनों ने काम करना बंद कर दिया था।
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फ्यूल कंट्रोल स्विच का मुद्दा पहली बार 2018 में अमेरिकी संघीय उड्डयन प्रशासन यानी एफएए द्वारा जारी एक स्पेशल एयरवर्थीनेस इंफोर्मेशन बुलेटिन SAIB NM-18-33 में सामने आया था। इस बुलेटिन में बोइंग के कई विमान मॉडलों में फ्यूल कंट्रोल स्विच के लॉकिंग सिस्टम के संभावित रूप से डिसएंगेज होने की चेतावनी दी गई थी। यह लॉकिंग सिस्टम स्विच को अनजाने में हिलने से रोकने के लिए डिज़ाइन किया गया है, ताकि उड़ान के दौरान इंजन बंद होने का जोखिम न हो। हालांकि, यह सलाह गैर-बाध्यकारी थी, और एयर इंडिया सहित कई एयरलाइनों ने इसकी जांच को आगे नहीं बढ़ाया था।

डीजीसीए का निर्देश

डीजीसीए ने अपने आदेश में कहा, 'यह ध्यान में आया है कि कई अंतरराष्ट्रीय और घरेलू ऑपरेटरों ने 17 दिसंबर 2018 के SAIB के अनुसार अपने विमान बेड़े की जांच शुरू कर दी है। इसलिए, सभी संबंधित विमान ऑपरेटरों को सलाह दी जाती है कि वे 21 जुलाई 2025 तक SAIB NM-18-33 के तहत आवश्यक जांच पूरी करें।' आदेश में यह भी कहा गया है कि ऑपरेटरों को जाँच योजना और इसके पूरा होने के बाद की रिपोर्ट डीजीसीए के क्षेत्रीय कार्यालयों को पेश करनी होगी। 

डीजीसीए ने जोर देकर कहा है कि फ्यूल कंट्रोल स्वीच से जुड़े एयरवर्थीनेस और संचालन की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए समयसीमा का सख्ती से पालन करना ज़रूरी है।

यह निर्देश बोइंग के कई मॉडलों पर लागू होता है, जिनमें 737, 747, 757, 767, 787, MD-11 और MD-90 सीरीज शामिल हैं। भारत में एयर इंडिया, एयर इंडिया एक्सप्रेस, अकासा एयर, स्पाइसजेट और इंडिगो जैसी एयरलाइंस इन मॉडलों का संचालन करती हैं।

हालांकि, एफएए और बोइंग ने 13 जुलाई को कहा था कि बोइंग विमानों के फ्यूल स्विच लॉक सुरक्षित हैं और इसके लिए तत्काल कोई वायुयोग्यता निर्देश (एयरवर्थीनेस डायरेक्टिव) जारी करने की आवश्यकता नहीं है। फिर भी, डीजीसीए ने अब भारत में संचालित सभी प्रभावित विमानों की जांच को अनिवार्य कर दिया है।
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एयर इंडिया की स्थिति

एयर इंडिया ने बताया कि दुर्घटनाग्रस्त विमान (VT-ANB) का रखरखाव रिकॉर्ड 2023 से स्वच्छ था और सभी ज़रूरी निरीक्षण पूरे किए गए थे। विमान के पास वैध एयरवर्थीनेस प्रमाणपत्र थे। इसके बावजूद, एयर इंडिया ने 2018 के एफएए सलाह के अनुसार जांच नहीं की थी, क्योंकि यह गैर-बाध्यकारी थी। 

डीजीसीए का यह कदम विमानन सुरक्षा को प्राथमिकता देने का संदेश देता है। जानकारों का मानना है कि यह निर्देश न केवल भारत में, बल्कि वैश्विक स्तर पर विमानन सुरक्षा मानकों को मजबूत करने में योगदान दे सकता है।