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अडानी समूह के खिलाफ जांच की माेग के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका 

मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक याचिका दायर कर अडानी समूह और उसकी सहयोगी कंपनियों के खिलाफ विभिन्न कानूनों के तहत मुकदमा चलाने की मांग की गई। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया तथा एलआईसी द्वारा अडानी समूह के शेयरों की बढ़ी हुई कीमत पर निवेश के फैसले पर सवाल उठाया गया।
मध्य प्रदेश,महिला कांग्रेस की महासचिव डॉ. जया ठाकुर द्वारा दायर याचिका में कहा गया कि एलआईसी और एसबीआई ने अडानी एंटरप्राइजेज में 3,200 रुपये प्रति शेयर की दर से निवेश किया, जबकि बाजार में शेयरों की कीमत 1,600 रुपये से 1,800 रुपये के बीच थी।
अडानी समूह की कंपनियों के दायर की गई अबतक की तीसरी याचिका है, जो समूह पर हिडेनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद दायर की गई है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में अडानी समूह परपर धोखाधड़ी और  शेयरों की कीमत में छेड़छाड़ का आरोप लगाया गया है।
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याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में अडानी समूह के अलावा केंद्र सरकार, केंद्रीय गृह मंत्रालय, सीबीआई, प्रवर्तन निदेशालय, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी), राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई), नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी), भारतीय रिजर्व बैंक धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ), एलआईसी और एसबीआई को आरोपी बनाया है।
याचिकाकर्ता ने कोर्ट से आग्रह किया कि वह सुप्रीम कोर्ट के सिटिंग जज की निगरानी में अडानी समूह और उसकी सहयोगी कंपनियों के खिलाफ जांच का आदेश दे। अडानी एंटरप्राइजेज के एफपीओ के दौरान 3,200 रुपये प्रति शेयर की दर से भारी मात्रा में सार्वजनिक धन का निवेश करने में एसबीआई और एलआईसी की भूमिका की जांच  का आदेश देने का भी अनुरोध किया।
रिपोर्ट के अनुसार अडानी समूह ने कंपनी के शेयरों की कीमत बढ़ा-चढ़ाकर बताईं और बढ़ी हुई कीमत के आधार पर कई सार्वजनिक निजी बैंकों से ₹ 82,000 करोड़ का ऋण प्राप्त किया।
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अडानी समूह के स्वामित्व वाले मुंद्रा पोर्ट्स में, कई बार भारी मात्रा में ड्रग्स बरामद किया जा चुका है। उसके बाद भी नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) सहित किसी भी जांच एजेंसी ने इसमें अडानी पोर्ट्स लिमिटेड की भूमिका की जांच नहीं की है। 
अडानी समूह को दिए गए 82,000 करोड़ रुपये के ऋण पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। क्योंकि अडानी समूह की वित्तीय हालात उतनी अच्छी नहीं है जितनी उसने ऋण लेते समय बताई थी। यह  बैंकों और वित्तीय संस्थानों के लिए नगदी का संकट पैदा करेगा, जो सीधे तौर पर जनता को प्रभावित करेगा।
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क़मर वहीद नक़वी
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