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हाई कोर्ट ने पूछा- क्या बूस्टर खुराक की ज़रूरत है? केंद्र बोला- पता लगा रहे हैं

ओमिक्रॉन वैरिएंट के ख़तरे के बीच जहाँ ब्रिटेन सहित कई देशों में बूस्टर डोज लगाने में तेजी लाई गई है वहीं अभी भारत में इसको लेकर कोई फ़ैसला नहीं लिया जा सका है। केंद्र सरकार ने ही यह बात कही है।

बूस्टर डोज क्या ओमिक्रॉन के ख़िलाफ़ कुछ काम करेगा और असर करेगा भी या नहीं? इन्हीं सवालों पर आधारित दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र से आज एक सवाल पूछा कि क्या वैक्सीन की बूस्टर खुराक की ज़रूरत है? इस सवाल के जवाब में केंद्र ने दिल्ली हाई कोर्ट को बताया है कि राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह टीकाकरण यानी एनटीएजीआई और नेशनल एक्सपर्ट ग्रुप ऑन वैक्सीन एडमिनिस्ट्रेशन फॉर कोरोना यानी एनईजीवीएसी टीकों की बूस्टर खुराक से संबंधित वैज्ञानिक साक्ष्यों पर विचार कर रहे हैं। 

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केंद्र सरकार के स्थायी वकील अनुराग अहलूवालिया द्वारा दायर एक हलफनामे में सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया है कि एनटीएजीआई और एनईजीवीएसी बूस्टर खुराक की ज़रूरत और औचित्य पर विचार कर रहे हैं।

केंद्र ने कोर्ट को बताया है कि एनटीएजीआई और एनईजीवीएसी दो विशेषज्ञ निकाय हैं जो राष्ट्रीय कोरोना टीकाकरण कार्यक्रम का मार्गदर्शन करने के लिए काम कर रहे हैं।

एनटीएजीआई टीकों की विभिन्न क़िस्मों के उपयोग, वैक्सीन की खुराक के बीच के अंतराल आदि जैसे तकनीकी पहलुओं की जाँच करता है और एनईजीवीएसी को इसकी सिफारिश करता है। एनईजीवीएसी बदले में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय को कोरोना टीकाकरण के सभी पहलुओं पर समग्र मार्गदर्शन और सिफ़ारिशें देता है।

केंद्र ने यह भी कहा है कि राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम की वर्तमान प्राथमिकता पूरी पात्र आबादी को पूर्ण टीकाकरण यानी दो खुराक देने की है।

बता दें कि सरकार की यह प्रतिक्रिया ऐसे वक़्त में आई है जब ओमिक्रॉन वैरिएंट फैलने के बीच ब्रिटेन ने अपने देश की पूरी आबादी को बूस्टर खुराक देने के लक्ष्य को और पहले तय कर दिया है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बॉरिस जॉनसन ने कहा है कि दिसंबर के अंत तक एक महीने में वयस्कों को बूस्टर खुराक देने का लक्ष्य है। पहले यह लक्ष्य अगले साल जनवरी के लिए रखा गया था।

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एक दिन पहले ही ओमिक्रॉन वैरिएंट से पहली मौत का मामला ब्रिटेन में ही सामने आया है। जॉनसन ने कहा था कि 'ओमिक्रॉन की तूफानी लहर आ रही है'। 24-25 नवंबर को पहली बार इस नये वैरिएंट का मामला दक्षिण अफ्रीका में आया था। इसके बाद अब तक कम से कम 57 देशों में इस नये वैरिएंट के मामले आ चुके हैं। भारत में ही ओमिक्रॉन के कम से कम 41 मामले सामने आ चुके हैं।

माना जाता है कि ब्रिटेन की सरकार आधिकारिक तौर पर इस नये वैरिएंट से मौत की घोषणा करने वाली पहली सरकार है। ब्रिटेन में ओमिक्रॉन के मामले काफ़ी तेज़ी से फैल रहे हैं। ब्रिटेन में हर दो से तीन दिनों में ओमिक्रॉन के मामले दोगुने हो जा रहे हैं। 

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क़मर वहीद नक़वी
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