केंद्र सरकार के ताजा हलफनामे का संवैधानिकता से जुड़े मामले की मेरिट्स (खूबियों) पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
लाइव लॉ के मुताबिक आज सुनवाई के दौरान जस्टिस कौल ने पूछा कि क्या इस मामले में कोई अतिरिक्त हलफनामा दाखिल करने की जरूरत है, क्योंकि यह मुद्दा पूरी तरह से फैसलों की संवैधानिकता से जुड़ा है। कल केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म होने के बाद उसकी मौजूदा स्थिति को लेकर हलफनामा दाखिल किया था। जस्टिस कौल ने कहा कि अब दूसरा पक्ष भी जवाबी हलफनामा दायर करेगा और इस तरह प्रक्रिया जारी रहेगी।
कुछ याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि केंद्र के हलफनामे की अनदेखी की जानी चाहिए। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि संवैधानिक सवालों पर बहस के लिए ताजा हलफनामे पर निर्भर नहीं रहा जाएगा। पीठ ने यह बयान आदेश में दर्ज किया।
वरिष्ठ अधिवक्ता राजू रामचंद्रन ने कोर्ट को सूचित किया कि जम्मू कश्मीर के आईएएस अधिकारी शाह फैसल और पूर्व छात्र नेता शहला राशिद याचिकाकर्ता के रूप में बने नहीं रहना चाहते हैं और अनुरोध किया कि उनके नाम याचिकाकर्ताओं की सूची से हटा दिए जाएं।