महिला का हिजाब खींचने का मामला तूल पकड़ रहा है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का वीडियो सोशल मीडिया पर अभी भी वायरल है। जिस महिला का हिजाब नीतीश कुमार ने खींचा था, उसने बिहार सरकार की नौकरी ज्वाइन करने से इनकार कर दिया है। हालांकि परिवार ने उससे अपने फैसले पर फिर से विचार करने को कहा है। परिवार का कहना है कि इस घटना के लिए नीतीश कुमार ही जिम्मेदार हैं। इस घटना ने राजनीतिक हलचल मचा दी है और विपक्षी दलों ने इसे महिलाओं की गरिमा पर हमला करार दिया है। लेकिन हैरानी की बात है कि बीजेपी और एनडीए के सहयोगी दल बेहूदे बयान देकर इसे सामान्य घटना बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

महिला के भाई ने एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा कि 'मेरी बहन ने नौकरी स्वीकार न करने का पक्का फैसला कर लिया है।' उन्होंने आगे बताया कि परिवार उन्हें अपना फैसला बदलने के लिए मनाने की कोशिश कर रहा है। 'हम उनसे कह रहे हैं कि अगर किसी और से गलती हुई है, तो उन्हें क्यों भुगतना पड़े? किसी और की वजह से उन्हें अपना करियर क्यों छोड़ना चाहिए? वह इस समय गंभीर मानसिक तनाव में हैं।' एक खबर यह भी है कि महिला डॉक्टर ने कोलकाता शिफ्ट होने का फैसला किया है।
यह घटना 15 दिसंबर की है, जब पटना में आयुष डॉक्टरों को नियुक्ति पत्र बांटे किए जा रहे थे। वीडियो में नीतीश कुमार एक महिला डॉक्टर नुसरत परवीन से हिजाब हटाने का इशारा करते हैं और फिर खुद इसे नीचे खींच देते हैं, जिससे उनका चेहरा सामने आ जाता है। इस पर मौके पर मौजूद कुछ लोग हंसते दिखे, जबकि डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने उन्हें रोकने की कोशिश की।

इस घटना पर एनडीए के सहयोगी और यूपी के कैबिनेट मंत्री संजय निषाद ने विवादित बयान दिया। एक स्थानीय न्यूज चैनल को इंटरव्यू में हंसते हुए उन्होंने कहा, "अरे वो भी तो आदमी हैं ना... नकाब छू दिया तो इतना हल्ला... कहीं और छू देते तो क्या हो जाता?" हालांकि बुधवार को अपनी सफाई भी दे दी। संजय निषाद ने कहा कि उनका कहना को वो आशय नहीं था। इस बयान को मिसोजिनिस्टिक (महिला विरोधी) और असंवेदनशील बताते हुए विपक्ष ने कड़ी आलोचना की। कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत और पूर्व कांग्रेस विधायक असलम शेख ने इसे घृणित करार दिया।

ताज़ा ख़बरें
बवाल बढ़ने पर संजय निषाद ने सफाई दी कि उनका बयान स्थानीय भोजपुरी लहजे में हल्के-फुल्के अंदाज में कहा गया था और किसी महिला, समुदाय या धर्म को ठेस पहुंचाने का इरादा नहीं था। यदि किसी को बुरा लगा तो वे शब्द वापस लेते हैं। लेकिन संजय निषाद ने नीतीश कुमार की एक बार भी निन्दा नहीं की।

समाजवादी पार्टी की नेता सुमैया राणा (शायर मुनव्वर राणा की बेटी) ने लखनऊ के कैसरबाग थाने में नीतीश कुमार और संजय निषाद के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने मांग की है कि नीतीश पर महिला की गरिमा भंग करने के लिए धारा 354 और निषाद पर धार्मिक भावनाएं भड़काने के लिए धारा 153A के तहत एफआईआर दर्ज की जाए। सुमैया ने कहा, "संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति का ऐसा व्यवहार अन्य कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहित करता है।"

बीजेपी बचाव में जुटी

बीजेपी सांसद अपराजिता सारंगी ने नीतीश कुमार का बचाव करते हुए कहा कि यह "निर्दोष" (innocuous) हरकत थी और इसमें कोई दुर्भावना नहीं थी। यह पिता जैसा स्नेह था, ताकि शिक्षित महिला का चेहरा दुनिया देख सके। इससे किसी को नुकसान नहीं पहुंचा। इसी तरह बीजेपी की नेता राधिका खेड़ा ने एक दिन पहले राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत के घूंघट वाले वीडियो का हवाला देकर नीतीश का बचाव किया था। जेडीयू भी बचाव में उतरी हुई है। नीतीश की सरकारी स्कीमों का हवाला देकर उन्हें महिला सशक्तीकरण का मसीहा बताया जा रहा है।



विपक्षी दल जैसे कांग्रेस, आरजेडी और समाजवादी पार्टी ने नीतीश कुमार की मानसिक स्थिति पर सवाल उठाए हैं और माफी की मांग की है। इस मामले ने महिलाओं की सुरक्षा और अल्पसंख्यकों के सम्मान पर बहस छेड़ दी है। पुलिस ने शिकायत मिलने की पुष्टि की है, लेकिन अभी एफआईआर दर्ज होने की जानकारी नहीं है।

कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा, "नीतीश कुमार की तबीयत ठीक नहीं है; हम उनकी मानसिक स्थिति पर टिप्पणी नहीं कर सकते। लेकिन संजय निषाद की तबीयत ठीक नहीं है, यह बात पहले देश को पता नहीं थी, और उनके बयान से यह बात सामने आ गई है। जिस तरह से नीतीश कुमार ने एक महिला का हिजाब खींचा, उन्होंने पहले भी ऐसा किया है, महिलाओं के प्रति उनकी मानसिकता विधानसभा में पहले ही झलक चुकी है, जहां उन्होंने बेहद घटिया टिप्पणी की...।"