नागरिकता संशोधन कानून या सीएए के खिलाफ मुस्लिमों और मुस्लिम महिलाओं ने 2020 में जबरदस्त आंदोलन छेड़ा था। लेकिन अब जब साढ़े चार साल बाद मोदी सरकार ने जब सीएए को 11 मार्च की शाम को अधिसूचित कर दिया तो भी मुसलमान, मुस्लिम संगठन, उलेमा खामोश हैं। कहीं किसी आंदोलन की सुगबुगाहट नहीं। मंगलवार शाम को केंद्र सरकार की नीतियों का प्रचार प्रसार करने वाली सरकारी वेबसाइट पीआईबी ने केंद्रीय गृह मंत्रालय का एक नोट जारी किया। यह पॉजिटिव नैरेटिव नोट मुसलमानों के बारे में था, जो सरकार की अच्छी नीयत को ही बता रहा था। लेकिन अज्ञात कारणों से सरकार ने इस नोट को देर रात हटा लिया।