नागरिकता संशोधन कानून या सीएए के खिलाफ मुस्लिमों और मुस्लिम महिलाओं ने 2020 में जबरदस्त आंदोलन छेड़ा था। लेकिन अब जब साढ़े चार साल बाद मोदी सरकार ने जब सीएए को 11 मार्च की शाम को अधिसूचित कर दिया तो भी मुसलमान, मुस्लिम संगठन, उलेमा खामोश हैं। कहीं किसी आंदोलन की सुगबुगाहट नहीं। मंगलवार शाम को केंद्र सरकार की नीतियों का प्रचार प्रसार करने वाली सरकारी वेबसाइट पीआईबी ने केंद्रीय गृह मंत्रालय का एक नोट जारी किया। यह पॉजिटिव नैरेटिव नोट मुसलमानों के बारे में था, जो सरकार की अच्छी नीयत को ही बता रहा था। लेकिन अज्ञात कारणों से सरकार ने इस नोट को देर रात हटा लिया।
सीएएः मोदी सरकार ने मुसलमानों से संबंधित ऐलान आधी रात वापस क्यों लिया, क्या डर है
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- 29 Mar, 2025
भारत सरकार से संबंधित प्रेस इन्फॉरमेशन ब्यूरो (पीआईबी) की बेवसाइट पर केंद्र सरकार ने मंगलवार शाम को एक पॉजिटिव नैरिटिव नोट्स के जरिए बताया कि दुनिया के किसी भी कोने से मुसलमान अगर भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करते हैं तो उन्हें नागरिकता मिलेगी। नया सीएए कानून इसे रोकता नहीं है। लेकिन गृह मंत्रालय ने देर रात को वो नोट हटवा दिया। इससे पता चलता है कि सरकार कहीं न कहीं कुछ पसोपेश में है। मुसलमान नए कानून के खिलाफ आंदोलन भी नहीं कर रहा है। समझिए पूरी बातः
