कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कांग्रेस वर्किंग कमेटी यानी सीडब्ल्यूसी की बैठक में केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद बनी स्थिति से निपटने के लिए सरकार के पास कोई साफ़ रणनीति नहीं है। 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए इस हमले में 26 लोगों की जान गई थी। खड़गे ने यह भी जोर देकर कहा कि विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार के साथ है और आतंकवाद के ख़िलाफ़ एकजुटता का संदेश दे रहा है।

कांग्रेस की सर्वोच्च नीति-निर्धारक इकाई कांग्रेस वर्किंग कमेटी यानी सीडब्ल्यूसी की 2 मई को नई दिल्ली में बैठक हुई। इसमें पहलगाम आतंकी हमले और जाति जनगणना जैसे राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर गहन चर्चा हुई। बैठक में दो प्रस्ताव पारित किए गए। इसके बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में पार्टी नेताओं ने इन मुद्दों पर अपनी स्थिति साफ़ की। 

सीडब्ल्यूसी की यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब देश दो बड़े मुद्दों से जूझ रहा है। पहला, 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुआ आतंकी हमला। इसमें 26 लोग मारे गए थे। इस हमले ने भारत-पाकिस्तान संबंधों को और तनावपूर्ण बना दिया और सरकार की आतंकवाद-विरोधी नीतियों पर सवाल उठे। दूसरा, केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में घोषित जाति जनगणना का फ़ैसला, जिसे कांग्रेस अपनी लंबे समय की मांग की जीत मान रही है। यह बैठक इन दोनों मुद्दों पर पार्टी की रणनीति को ठोस रूप देने और सरकार पर दबाव बढ़ाने के उद्देश्य से बुलाई गई थी।

पहलगाम मुद्दा

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बैठक में कहा कि पहलगाम हमले के कई दिन बीत जाने के बावजूद सरकार की ओर से कोई साफ़ रणनीति सामने नहीं आई है। उन्होंने इस हमले को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती करार दिया और सरकार से ठोस कार्रवाई की मांग की। सीडब्ल्यूसी ने एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें पाकिस्तान के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई और आतंकवादियों को सबक़ सिखाने के लिए सरकार को पूर्ण समर्थन देने की बात कही गई। प्रस्ताव में यह भी जोर दिया गया कि सरकार को पीड़ितों को न्याय दिलाने और भविष्य में ऐसे हमलों को रोकने के लिए प्रभावी क़दम उठाने चाहिए।

यह प्रस्ताव कांग्रेस की रणनीति को दिखाता है, जो एक ओर राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर सरकार के साथ एकजुटता दिखाती है, लेकिन दूसरी ओर सरकार की कथित निष्क्रियता की आलोचना करती है।

यह कदम कांग्रेस को राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दे पर सकारात्मक छवि बनाने में मदद कर सकता है, लेकिन सरकार के जवाबी कदमों पर निर्भर करेगा। कांग्रेस का यह प्रस्ताव सरकार के साथ एकजुटता दिखाने का प्रयास है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर उसकी छवि को मज़बूत करता है। हालाँकि, सरकार की कथित निष्क्रियता की आलोचना करके कांग्रेस विपक्ष के रूप में अपनी भूमिका को भी बता रही है।

यह रुख भारत-पाकिस्तान तनाव के संदर्भ में अहम है, क्योंकि यह कांग्रेस को क्षेत्रीय सुरक्षा और आतंकवाद जैसे मुद्दों पर सक्रिय और ज़िम्मेदार विपक्ष के रूप में पेश करता है।

जाति जनगणना मुद्दा

बैठक में राहुल गांधी को उनकी लगातार कोशिशों के लिए बधाई दी गई, जिन्होंने जाति जनगणना के मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उठाया। खड़गे ने कहा कि केंद्र सरकार को 11 साल के विरोध के बाद यह फ़ैसला लेने के लिए मजबूर किया गया, और यह कांग्रेस की जीत है। हालांकि, उन्होंने सरकार से इसकी समयसीमा और फंड आवंटन की मांग की।

सीडब्ल्यूसी ने एक दूसरा प्रस्ताव पारित किया, जिसमें जाति जनगणना को जल्द शुरू करने और इसके लिए ज़रूरी धनराशि आवंटित करने की मांग की गई। इसके साथ ही आरक्षण की 50% सीमा को हटाने और 68% तक आरक्षण बढ़ाने की अपील की गई।

कांग्रेस ने सभी राज्यों में इस मुद्दे पर प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करने का फ़ैसला किया, ताकि जनता तक यह संदेश पहुंचे कि जाति जनगणना उनकी मांग का परिणाम है। जाति जनगणना का मुद्दा कांग्रेस के लिए राजनीतिक रूप से अहम है, क्योंकि यह अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग से जुड़ा है। यह क़दम मंडल राजनीति को फिर से उठा सकता है और कांग्रेस को सामाजिक न्याय के मुद्दे पर मजबूत स्थिति दे सकता है।

जाति जनगणना का मुद्दा कांग्रेस के लिए एक दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा है। 2024 के लोकसभा चुनाव घोषणापत्र में भी कांग्रेस ने राष्ट्रव्यापी जाति जनगणना और 50% आरक्षण सीमा हटाने का वादा किया था।

राहुल गांधी की अगुवाई में यह मुद्दा तेलंगाना जैसे राज्यों में पहले ही प्रभावी साबित हुआ है, जहां कांग्रेस ने जाति जनगणना कराकर ओबीसी आरक्षण को 42% तक बढ़ाया।

यह प्रस्ताव कांग्रेस को सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों, विशेषकर ओबीसी, दलित, और आदिवासी समुदायों के बीच अपनी पैठ बढ़ाने का अवसर देता है। हालांकि, बीजेपी ने इसे "तमाशा" करार देकर कांग्रेस की मंशा पर सवाल उठाए हैं, जिससे इस मुद्दे पर सियासी जंग तेज होने की संभावना है।

सभी राज्यों में प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करने का फ़ैसला इस मुद्दे को जन-जन तक ले जाने की रणनीति का हिस्सा है, जो 2025 के विधानसभा चुनावों और भविष्य के लोकसभा चुनावों के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।

खड़गे ने कहा कि पार्टी को अपनी रणनीति को और मजबूत करना होगा और यदि ज़रूरी हो तो सहयोगी दलों के साथ मिलकर काम करना होगा। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि पहलगाम हमले और जाति जनगणना जैसे मुद्दों को जनता के बीच ले जाया जाएगा, ताकि सरकार पर दबाव बनाया जा सके।

बैठक के बाद आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस नेताओं ने अपनी स्थिति को और साफ़ किया। मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, 'पहलगाम हमले पर सरकार की चुप्पी और निष्क्रियता चिंताजनक है। हम आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई में सरकार के साथ हैं, लेकिन उसे ठोस क़दम उठाने होंगे।' उन्होंने राहुल गांधी की प्रशंसा करते हुए कहा कि जाति जनगणना का फ़ैसला उनकी दृढ़ता का नतीजा है।

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि सीडब्ल्यूसी ने दो महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किए हैं, जो राष्ट्रीय हित और सामाजिक न्याय को प्राथमिकता देते हैं। उन्होंने सरकार से जाति जनगणना की समयसीमा तय करने की मांग की। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'जातिगत जनगणना राहुल गांधी की जीत है। हम 50% आरक्षण की सीमा हटाने और सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।'

कांग्रेस सीडब्ल्यूसी की 2 मई की बैठक ने दो महत्वपूर्ण मुद्दों- पहलगाम आतंकी हमले और जाति जनगणना पर पार्टी की रणनीति को साफ़ किया। पहलगाम हमले पर प्रस्ताव सरकार के साथ एकजुटता और आलोचना का संतुलन दिखाता है, जबकि जाति जनगणना पर प्रस्ताव सामाजिक न्याय के प्रति कांग्रेस की प्रतिबद्धता को। 

आने वाले महीनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि कांग्रेस इन प्रस्तावों को कैसे लागू करती है और क्या यह जनता के बीच अपनी विश्वसनीयता को और मजबूत कर पाती है।