कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने फिर से नए विवाद को जन्म दे दिया है। थरूर ने शुक्रवार रात राष्ट्रपति भवन में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सम्मान में आयोजित डिनर का निमंत्रण स्वीकार कर लिया है। कांग्रेस के अंदर से कड़ी आलोचना हो रही है। वजह यह है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को इस डिनर के लिए निमंत्रण ही नहीं भेजा गया। इससे पहले नेता विपक्ष राहुल गांधी खुलकर यह आपत्ति जता चुके हैं कि पुतिन से नेता विपक्ष को नहीं मिलने दिया गया, जबकि यह परंपरा रही है कि जो भी राष्ट्राध्यक्ष आता है वो नेता विपक्ष से भी मिलता है। राहुल गांधी की इस आपत्ति के बावजूद शशि थरूर राष्ट्रपति भवन रात को डिनर करने जा पहुंचे।

आश्चर्य जताते हुए कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने पूछा कि क्या थरूर को यह "खेल" समझ नहीं आया। उन्होंने कहा, "जब मेरे नेता को बुलावा नहीं आया, और मुझे आया, तो हमें समझना चाहिए कि खेल क्या हो रहा है, कौन खेल रहा है, और हमें इसमें हिस्सा क्यों नहीं होना चाहिए...।" 
पवन खेड़ा ने इसे "बेहद आश्चर्यजनक" बताया कि कांग्रेस के किसी सदस्य को न्योता भेजा गया और उसने उसे स्वीकार भी कर लिया।
"निमंत्रण भेजा जाना अपने आप में आश्चर्य की बात है, और निमंत्रण स्वीकार कर लिया जाना और भी ज्यादा आश्चर्यजनक। हर किसी के अंतर्मन की आवाज होती है।" 
इससे पहले शुक्रवार को ही कांग्रेस के सूत्रों ने मीडिया को बताया था कि लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को रूसी राष्ट्रपति के सम्मान में होने वाले डिनर का निमंत्रण नहीं मिला है। बाद में कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने भी X पर इसकी पुष्टि की। यह घटनाक्रम एक दिन बाद आया है जब राहुल गांधी ने गुरुवार 4 दिसंबर को नरेंद्र मोदी सरकार पर आरोप लगाया था कि वह विदेशी मेहमानों से मिलने के लिए विपक्षी नेताओं को बुलाने की परंपरा तोड़ रही है।



यह पहली बार नहीं है जब इस साल थरूर अपनी ही पार्टी के सदस्यों के निशाने पर आए हैं। इससे पहले ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने पर भी कांग्रेस ने कड़ी आपत्ति जताई थी। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लॉर्ड मैकाले पर दिए भाषण में शामिल होने और उसके बाद उसकी सार्वजनिक तारीफ करने पर भी पार्टी सहयोगियों ने नाराजगी जताई थी।

शशि थरूर ने 2024 से अब तक कई बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार की तारीफों के पुल बांध रहे हैं हैं। अभी नवंबर 2025 में, थरूर ने मोदी के रामनाथ गोयनका पत्रकारिता सम्मान समारोह में दिए गए भाषण की तारीफ की। शशि थरूर की इस तारीफ का सोशल मीडिया पर खूब मजाक उड़ा। क्योंकि प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने आज तक कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं की। वो विदेश में प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोले तो विवाद हो गया। वो मीडिया को संबोधित तो करते हैं लेकिन उनसे कोई पत्रकार सवाल नहीं पूछ सकता। 
कांग्रेस के कई नेताओं ने थरूर के इस रुख पर उन्हें पार्टी छोड़ने की सलाह तक दे दी है। नवंबर 2025 में मोदी की तारीफ पर केरल कांग्रेस ने थरूर को 'हिपोक्रेट' कहा और पूछा कि वो 'कांग्रेस में क्यों हैं?' कांग्रेस के दलित नेता और पूर्व सांसद उदितराज ने यह तक कहा कि अगर शशि थरूर को मोदी की तारीफ करना है तो वो बीजेपी में क्यों नहीं शामिल हो जाते। उदितराज ने बीजेपी को फासिस्ट बताते हुए कहा था कि यह शर्मनाक है कि शशि थरूर एक फासिस्ट पार्टी के नेता की तारीफ कर रहे हैं। जुलाई 2025 में भी, केरल इकाई ने उन्हें 'मोदी सरकार के साथ खड़े' होने का आरोप लगाया।


क्या थरूर मोदी के गेम में फंस गए हैं

विश्लेषकों का कहना है कि मोदी और भाजपा राहुल गांधी को नीचा दिखाने का 'गेम प्लान' चला रहे हैं, जिसका मोहरा थरूर ही हैं। थरूर पूरी तरह अवसरवादी राजनीति कर रहे हैं। थरूर पहले से ही कांग्रेस आलाकमान के खिलाफ रहे हैं लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस ने उन्हें तिरुअनंतपुरम से टिकट दिया। हालांकि केरल कांग्रेस थरूर को टिकट देने के खिलाफ थी। थरूर अपनी पत्नी सुनंदा पुष्कर की कथित खुदकुशी की वजह से विवादों में आए थे। दिल्ली पुलिस ने उनसे पूछताछ भी की थी। पाकिस्तान की एक पत्रकार की वजह से भी थरूर विवादों में आए थे। एक्स पर कुछ यूजर्स ने थरूर को भाजपा का 'टूल' कहा है।