सफ़ाई कर्मी गंदगी में डूब जाते हैं। नीचे उतरते ही साँसें अटक जाती हैं। और कई बार तो जान ही चली जाती है। सीवर लाइन की सफ़ाई करते हुए सफ़ाई कर्मियों की मौत की ख़बरें लगातार आती रही हैं। आरोप लगता है कि ऐसी मौतों की गिनती तक के लिए अभी तक कोई ठोस काम नहीं हुआ है। हालाँकि, जब तब कुछ आँकड़े ज़रूर बताए जाते हैं। और मौत के जो मामले सामने आते हैं और दोषियों को सजा दिलाने की बारी आती है तो मामला और भी नगण्य हो जाता है। यानी मौत के मुँह में धकेलने वालों को सजा न के बराबर हो पाती है। यानी मृतक व उसके परिजनों को न्याय मिलने की बात दूर की कौड़ी साबित होती है।
सीवर: 75 मौतें, दोषी सिर्फ़ एक; यानी मौत के मुंह में धकेलो और बच निकलो!
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- 1 Dec, 2024
सीवर और सैप्टिक टैंकों की सफ़ाई के दौरान सफ़ाई कर्मियों की मौत के मामले लगातार आते रहे हैं। साफ़ तौर पर काम कराने वालों की लापरवाही सामने आती रही है। तो क्या दोषियों को सजा हो पाती है?

प्रतीकात्मक तस्वीर।
ऐसे मामलों में क़ानूनी कार्रवाई के मामले बेहद शर्मिंदा करने वाले हैं। द इंडियन एक्सप्रेस ने ऐसे मामलों की पड़ताल की है। रिपोर्ट के अनुसार पिछले 15 वर्षों में दिल्ली में सीवर की सफाई करते समय कुल 94 लोगों की मौत हो चुकी है। लेकिन इन मौतों में से, जिनके रिकॉर्ड उपलब्ध हैं, केवल एक मामले में ही पीड़ितों को अदालत में दोषसिद्धि के रूप में न्याय मिल पाया है। सूचना के अधिकार यानी आरटीआई अधिनियम के तहत प्राप्त आंकड़ों पर अख़बार ने यह रिपोर्ट दी है।