loader

क्या वाक़ई मसूद अज़हर को लेकर कंधार गए थे अजीत डोभाल?

पाकिस्तान में सक्रिय आतंकवादी संगठन जैश-ए-मुहम्मद के सरगना मसूद अज़हर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित कर दिया है। पुलवामा हमले के बाद से ही भारत ने मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के प्रयास तेज़ कर दिए थे। पुलवामा हमले के बाद मसूद अज़हर को लेकर काफ़ी राजनीति भी हुई थी तब कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि मौजूदा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ख़ुद अपने साथ हवाई जहाज़ में बैठा कर अज़हर को अफ़ग़ानिस्तान छोड़कर आए थे। इस दावे में कितना सच है? आख़िर किन परिस्थितियों में और क्यों मसूद अज़हर को कश्मीर की जेल से रिहा करना पड़ा? उसकी रिहाई में डोभाल की क्या भूमिका थी? आइए, जानते हैं?

क्या था मामला?

दिसंबर 1999 के अंतिम हफ़्ते में नेपाल की राजधानी काठमांडू से दिल्ली के लिए उड़े इंडियन एअरलाइन्स के विमान आईसी-814 का पाँच आतंकवादियों ने अपहरण कर लिया। वे उसे अमृतसर, दुबई होते हुए पहले लाहौर और वहाँ से अफ़गानिस्तान के कंधार शहर ले गए। वहां उन्होंने विमान में सवार 155 बंधकों की रिहाई के एवज में मसूद अज़हर समेत 36 आतंकवादियों की रिहाई और 20 करोड़ डॉलर नक़द की माँग की। अंत में काफ़ी लंबी और पेचीदगी भरी बातचीत के बाद तीन आतंकवादियों को भारत ने छोड़ दिया। ये तीन आतंकवादी थे-मसूद, ब्रिटिश नागरिक उमर शेख और कश्मीरी आतंकवादी मुश्ताक अहमद ज़रगर।
सम्बंधित खबरें
भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसी रिसर्च एंड एनलिसिस विंग यानी रॉ के तत्कालीन प्रमुख ए. एस. दुल्लत ने रिटायर होने के बाद किताब लिखी ‘कश्मीर: द वाजेपयी ईयर्स’। इसमें उन्होंने इस कांड पर काफ़ी विस्तार से लिखा है। दुल्लत के मुताबिक़, अपहरण की ख़बर पक्की हो जाने के बाद इस संकट से निपटने के लिए एक टीम का गठन किया गया, जिसके प्रमुख तत्कालीन कैबिनेट सचिव प्रभात कुमार थे। इसमें ख़ुद दुल्लत और दूसरे विभागों के अफ़सर थे। लेकिन शुरू से ही इसमें मतभेद उभरे और लोग विमान के भारतीय ज़मीन से उड़ कर बाहर जाने देने के लिए एक-दूसरे पर दोष मढ़ने लगे। निशाने पर मुख्य रूप से प्रभात कुमार और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड के प्रमुख निखिल कुमार थे। बैठक से कोई नतीजा नहीं निकल रहा था। लेकिन काफ़ी मगज़मारी के बाद यह तय हुआ कि अपहरणकर्ताओं से बात करने के लिए एक टीम कंधार जाए।

क्या थी डोभाल की भूमिका?

अपहरण करने वाले आतंकवादियों से बात करने के लिए जिस टीम का गठन किया गया था, उसमें उस समय इटेंलीजेंस ब्यूरो यानी आईबी के वरिष्ठ अफ़सर अजीत डोभाल, नेहचल संधू, रॉ के सी.डी. सहाय, विदेश मंत्रालय के विवेक काटजू के अलावा नागरिक विमानन विभाग और दूसरे मंत्रालयों के लोग शामिल थे।
Did Ajit Doval escort Azhar Masoos to Afghanistan - Satya Hindi
ए. एस. दुल्लत, पूर्व प्रमुख, रॉ
ए. एस.दुल्लत ने ‘कश्मीर:  द वाजपेयी ईयर्स’ में लिखा, ‘यह टीम देखने में बहुत ही ताक़तवर थी, लेकिन सच तो यह है कि इसके पास कोई ताक़त ही नहीं थी, क्योंकि यह उस जगह बात करने गई थी, जिस पर उन लोगों का शासन था जो अपहरण करने वालों के हमदर्द थे।

तालिबान ने हवाई जहाज़ को चारों ओर से टैंक से घेर लिया और हर तरफ़ सैनिक तैनात कर दिए। तालिबान ने कहा कि सरकार ने ऐसा इसलिए किया कि अपहर्ता किसी तरह की हिंसा न करें, पर सच यह है कि वे भारत को संकेत देना चाहते थे कि वह किसी तरह की कमांडो कार्रवाई के बारे में न सोचे।


ए. एस. दुल्लत, पूर्व रॉ प्रमुख

यह साफ़ था कि तालिबान पर पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई का दबाव था और एक तरह से उसने पूरे हवाई अड्डे को कब्जे में कर लिया था।

डोभाल ने सरकार पर डाला दबाव

दुल्लत के मुताबिक़, एक तो तालिबान पूरी तरह आईएसआई के दबाव में था, रॉ को इस मामले में एक तरह से पटकनी दे दी थी, दूसरे कंधार में बैठे डोभाल लगातार मुझ पर दबाव बनाए हुए थे कि भारत सरकार जल्द से जल्द इस मामले को निपटाए। दुल्लत के मुताबिक़, डोभाल ने कहा, 'जल्दी कुछ कीजिए सर, ये लोग धीरज खो रहे हैं और पता नहीं कब क्या कर बैठें।' पाँच दिनों की बातचीत के बाद तीन आतंकवादियों को रिहा करने पर सहमति बनी।
Did Ajit Doval escort Azhar Masoos to Afghanistan - Satya Hindi
अजीत डोभाल, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार

फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने किया ज़ोरदार विरोध

इसके बाद यह तय हुआ कि यह बात तो जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री फ़ारूक़ अब्दुल्ला को भी बतानी होगी और उन्हें राज़ी भी कराना होगा। इस काम के लिए दुल्लत को भेजा गया। लेकिन जब रॉ प्रमुख अब्दुल्ला से मिलने गए, वह अपनी खाने की मेज पर बैठे थे और दुल्लत को देखते हुए भड़क गए। उन्होंने चीख कर कहा, ‘तुम फिर आ गए। यही काम तुमने मुफ़्ती की बेटी के लिए किया था और इस बार भी यही कर रहे हो।’
ग़ौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ़्रंट ने तत्कालीन गृह मंत्री मुफ़्ती महमूद सईद की बेटी डॉक्टर रुबैया सईद का 8 दिसंबर 1989 को अपहरण कर लिया था। उन्हें छोड़ने के बदले कुछ आतंकवादियों को रिहा किया गया था। उस समय भी राज्य के मुख्यमंत्री फ़ारूक़ अब्दुल्ला ही थे और उस समय भी बात करने दुल्लत ही गए थे।
दुल्लत के मुताबिक़, मुख्यमंत्री गुस्से से तमतमाए हुए थे, चीख रहे थे और किसी क़ीमत पर किसी आतंकवादी को छोड़ने के पक्ष में नहीं थे। वह समझाने पर शांत हो जाते, बैठ जाते, फिर भड़क जाते और खड़े होकर फिर चिल्लाने लगते थे।
ऐसा काफ़ी देर तक चलता रहा। मुख्यमंत्री कह रहे थे कि केंद्र सरकार बहुत बड़ी ग़लती कर रही है, ये आतंकवादी एक बार छूट गए तो ख़ून-ख़राबे की हद पार कर देंगे। अंत में दुल्लत, फ़ारूक़ अब्दुल्ला को अपने साथ लेकर राज्यपाल गिरीश चंद्र सक्सेना से मिलवाने ले गए। काफ़ी देर बाद अब्दुल्ला शांत हुए और दबाव के आगे झुक गए। उस समय मसूद अज़हर जम्मू के पास कोट भलवल जेल में था, उमर शेख तिहाड़ और मुश्ताक अहमद ज़रगर श्रीनगर की एक जेल में थे।

क्या मसूद को साथ लेकर गए थे डोभाल?

तीनों आतंकवादियों को दिल्ली लाया गया, जहां तत्कालीन विदेश मंत्री जसवंत सिंह विशेष जहाज़ में उनका इंतजार कर रहे थे। वह उन तीनों को लेकर कंधार गए। यह साफ़ है कि अजीत डोभाल उस विमान में नहीं थे क्योंकि वह तो उस समय कंधार में थे। अपहर्ताओं से बात करने वाली टीम में वह थे। इसलिए अज़हर को साथ लेकर जाने की बात ग़लत है। 
पिछले दिनों दुल्लत से जुड़ी एक और किताब छप कर आई है, जिसका नाम है, ‘द स्पाई क्रोनिकल्स: रॉ, आईएसआई एंड द इल्यूशन ऑफ़ पीस’। इसमें पत्रकार आदित्य सिन्हा ने दुल्लत और आईएसआई के पूर्व प्रमुख असद दुर्रानी को एक साथ बैठा कर लंबी बातचीत की और उनकी कही बातों को किताब की शक्ल दे दी। 
इस किताब में विमान अपहरण कांड की भी चर्चा है। इसमें दुल्लत ने निहायत ही साफ़गोई से माना है कि यह रॉ की एक बड़ी हार थी और आईएसआई ने उसे पटकनी दे दी थी। उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में काफ़ी गड़बड़ी की गई थी।

सरकार का जवाब

तक़रीबन दो साल पहले दुल्लत ने कहा कि वाजपेयी सरकार आतंकवाद के मुद्दे पर नरम थी और उसने तीन आतंकवादियों को छोड़ कर ग़लती की थी। इस पर ख़ूब राजनीतिक बहसबाज़ी हुई थी। तत्कालीन विदेश राज्य मंत्री एम. जे. अकबर ने इसके जवाब में दुल्लत पर हमला बोल दिया था और पूछा था कि क्या सरकार 155 बंधकों को मरने देती।

Did Ajit Doval escort Azhar Masoos to Afghanistan - Satya Hindi
कंधार हवाई अड्डे पर खड़ा विमान और तालिबान के लड़ाके (फ़ाइल फ़ोटो)
हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी के उसे व्यंग्य में ‘मसूद अज़हर जी’ कहने पर बीजेपी ने उन पर ज़ोरदार हमला कर दिया था। लेकिन कांग्रेस ने पलटवार करते हुए कहा था कि अज़हर को छोड़ने ख़ुद डोभाल गए थे। लेकिन सच यह है कि डोभाल उसे लेकर नहीं गए थे, उसे लेकर जसवंत सिंह गए थे, जो कुछ समय पहले तक बीजेपी के वरिष्ठ नेता थे।
पुलवामा हमले के बाद राहुल गाँधी ने तीख़ा हमला बोलते हुए कहा था, 'आप चुप क्यों हैं? आप क्यों नहीं बता रहे हैं कि सीआरपीएफ़ के 40 जवानों की मौत के लिए ज़िम्मेदार व्यक्ति को बीजेपी ने यहाँ से भेजा था। मोदी जी, हम आपकी तरह नहीं हैं। हम आतंकवाद के आगे झुके नहीं हैं। लोगों को बताएँ कि किसने मसूद अज़हर को यहाँ से भेजा था।' 
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें