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नफ़रत फैलाने वाले पोस्ट पर नज़र रखने के लिए समिति बनाई फ़ेसबुक ने

राजनीतिक भेदभाव करने और नफ़रत फैलाने वाले कुछ पोस्ट के जानबूझ कर नहीं हटाने के मामले में जम कर किरकिरी होने के बाद अब फ़ेसबुक डैमेज कंट्रोल में जुट गया है। उसने एक ओवरसाइट बोर्ड बनाने का फ़ैसला किया है। इस ओवरसाइट बोर्ड में एक भारतीय समेत कई अंतरराष्ट्रीय ख्याति के लोग हैं। समझा जाता है कि यह बोर्ड जल्द ही काम शुरू कर देगा।
फ़ेसबुक के एक प्रवक्ता ने 'द इकोनॉमिक टाइम्स' से कहा, 'यह बोर्ड उन फ़ेसबुक पोस्ट पर नज़र रखेगा जो सामुदायिक मानदंडों का उल्लंघन करते हैं। नफ़रत फैलाने वाले पोस्ट इसी श्रेणी में आएंगे। बोर्ड उल्लंघन के मामलों में फ़ेसबुक को ज़िम्मेदार मानेगा।'
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फ़ेसबुक के प्रवक्ता ने कहा,

'ओवरसाइट बोर्ड को यह अधिकार होगा कि वह फ़ेसबुक और इंस्टाग्राम के कंटेट पर निष्पक्ष और स्वतंत्र फ़ैसला ले, हम फ़ेसबुक इस्तेमाल करने वाले लोगों के हितों की रक्षा और फ़ेसबुक को ज़िम्मेदार बनाने के लिए काम करेंगे।'


प्रवक्ता, फ़ेसबुक

दो साल बाद बना है बोर्ड 

इस ओवरसाइट बोर्ड के गठन की सिफ़ारिश दो साल पहले ही की गई थी, लेकिन उसका पालन नहीं हो रहा था। कंपनी ने इस बोर्ड में 20 लोगों को रखा है, जिनमें क़ानूनविद, नोबेल पुरस्कार से सम्मानित लोग, पत्रकार और समाज के दूसरे वर्गो के लोग हैं। इस बोर्ड में एक भारतीय भी हैं, सुधीर कृष्णस्वामी। वह नैशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर हैं।
याद दिला दें कि फ़ेसबुक विवादों के केंद्र में आ गया जब वॉल स्ट्रीट जर्नल ने एक ख़बर में कहा कि इसने तेलंगाना के बीजपी विधायक के मुसलिम-विरोधी पोस्ट को डिलीट नहीं किया। फ़ेसबुक इंडिया की पब्लिक पॉलिसी डाइरेक्टर अंखी दास ने यह कह कर कोई कार्रवाई करने से रोक दिया था कि ऐसा करने से कंपनी के व्यवसाय पर बुरा असर पड़ेगा। लेकिन इस मामले ने तूल पकड़ लिया है। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने इस मुद्दे पर फ़ेसबुक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मार्क ज़करबर्ग को चिट्ठी लिखी है।
ओवरसाइट बोर्ड ने कहा है कि उसके सदस्य फ़िलहाल इसका प्रशिक्षण ले रहे हैं कि वे सोशल मीडिया प्लैटफ़ॉर्म के सामुदायिक मानदंड कैसे तय करें, क्या नीति अपनाएं और उसे कैसे लागू करें।

बोर्ड पर उठ रहे हैं सवाल

लेकिन इस बोर्ड पर सवाल अभी से उठ रहे हैं। अमेरिकी हाउस ऑफ़ रिप्रेज़ेन्टेटिव्स के तीन डेमोक्रेट सदस्यों ने कहा है कि इस समिति के पास पर्याप्त अधिकार नहीं हैं और यह महत्वपूर्ण काम नहीं कर पाएगा।

बहरहाल, भारत में फ़ेसबुक को लेकर चर्चा गर्म है, उस पर विवाद घटने के बजाय बढ़ता जा रहा है।

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के ख़िलाफ़ विशेषाधिकार का प्रस्ताव बुधवार को पेश कर दिया। उसके जवाब में दुबे ने थरूर के अलावा राहुल गांधी के ख़िलाफ़ भी ऐसा ही प्रस्ताव पेश कर दिया है।

इसके पहले थरूर ने कहा था कि 'वॉल स्ट्रीट जर्नल' की ख़बर को लेकर वह फ़ेसबुक के अधिकारियों को तलब कर सकते हैं। इस पर झारखंड से बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे बिगड़ गए थे। उन्होंने कहा था कि शशि थरूर को फ़ेसबुक के अधिकारियों को तलब करने से पहले संसद की स्थायी समिति में इसे लेकर चर्चा करनी होगी।
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क़मर वहीद नक़वी
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