पश्चिम बंगाल सहित पाँच राज्यों में चुनाव से पहले डेल्टा वैरिएंट आया था। हर रोज़ संक्रमण के मामले क़रीब 3 लाख से ज़्यादा आ रहे थे, 4 हज़ार मौतें हो रही थीं और चुनावी रैलियाँ बदस्तूर चल रही थीं। चुनाव तो हो गए, लेकिन डेल्टा वैरिएंट से आई कोरोना की दूसरी लहर ने ऐसी तबाही मचाई कि इसकी देश की सबसे बड़ी त्रासदियों से तुलना की जाने लगी। अब उत्तर प्रदेश सहित पाँच राज्यों में कुछ महीनों में चुनाव होने वाले हैं। डेल्टा से कहीं ज़्यादा तेज़ी से फैलने वाला ओमिक्रॉन वैरिएंट आ चुका है। तो क्या तीसरी लहर आएगी? चुनावी रैलियों और जनसभाओं में बिना मास्क के उमड़ने वाली भीड़ से कैसे हालात बनेंगे?
ओमिक्रॉन: चुनावी रैलियाँ कहीं दूसरी लहर जैसी तबाही न ला दे!
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- 22 Dec, 2021

प्रतीकात्मक तसवीर।
डेल्टा से भी तेज़ी से फैलने वाले ओमिक्रॉन वैरिएंट के बीच चुनावी रैलियों और बड़ी-बड़ी भीड़ इकट्ठा करने का क्या असर होगा? दूसरी लहर के लिए चुनावी सभाएँ कितनी ज़िम्मेदार थीं और क्या इससे सीख ली गई?