भारत ने गुरुवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन के उस दावे को सिरे से खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया युद्धविराम कराने में भूमिका निभाई। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि इस महीने की शुरुआत में पाकिस्तान के साथ हुए संघर्ष विराम के बारे में अमेरिका के साथ किसी भी चर्चा में टैरिफ का मुद्दा शामिल नहीं था।

ट्रंप प्रशासन ने अमेरिका की एक ट्रेड अदालत में दलील दी थी कि उनके द्वारा लगाए गए टैरिफ के दबाव ने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम कराने में मदद की, जिससे तीन दिनों तक चली तीखी दुश्मनी समाप्त हुई। ट्रंप ने पहले भी पांच-छह बार दावा किया था कि अमेरिका ने भारत-पाकिस्तान युद्ध विराम में मध्यस्थता की। हालांकि, भारत ने बार-बार इस दावे को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा कि युद्धविराम को लेकर अमेरिका के साथ कोई बातचीत नहीं हुई।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने गुरुवार को एक बयान में कहा, "इस विशेष मुद्दे पर भारत का विरोध अच्छी तरह से व्यक्त किया गया है। 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू होने से लेकर 10 मई को समाप्ति तक भारत और अमेरिका के बीच बातचीत होती रही। इन चर्चाओं में टैरिफ का मुद्दा कभी नहीं उठा।"

जायसवाल ने दोहराया कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम दोनों देशों के बीच आपसी समझौते का परिणाम था, और इसमें किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं थी। उन्होंने कहा, "भारत-पाकिस्तान युद्धविराम का श्रेय किसी बाहरी शक्ति को देना पूरी तरह गलत है। यह दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय प्रयासों का नतीजा है।"

ट्रंप प्रशासन की ओर से बार-बार किए गए दावों के बावजूद, भारत ने अपने रुख को स्पष्ट करते हुए कहा कि युद्ध विराम का अमेरिकी टैरिफ से कोई संबंध नहीं है। यह बयान दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

इस घटनाक्रम ने एक बार फिर भारत की स्वतंत्र विदेश नीति और क्षेत्रीय मामलों में अपनी संप्रभुता को रेखांकित किया है। भारत ने स्पष्ट किया कि वह अपनी सीमाओं और क्षेत्रीय शांति से जुड़े मुद्दों पर किसी भी बाहरी हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं करेगा।

कांग्रेस का तीखा हमला

कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के पाहलगाम हमले को लेकर दावों पर चुप्पी साधने के लिए तीखा हमला बोला है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने गुरुवार को कहा कि पीएम मोदी केवल तारीफ सुनना चाहते हैं, जबकि टैरिफ और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे गंभीर मुद्दों पर चर्चा से बच रहे हैं।

जयराम रमेश ने ट्रम्प के उस दावे पर सवाल उठाए, जिसमें उन्होंने कहा था कि उनके द्वारा लगाए गए टैरिफ के दबाव में भारत और पाकिस्तान शांति की ओर बढ़े। रमेश ने पूछा, "प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ट्रम्प के इन दावों का कोई जवाब क्यों नहीं दिया? ट्रम्प ने भारत और पाकिस्तान को बराबर क्यों ठहराया?" उन्होंने सरकार की चुप्पी को राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति लापरवाही करार दिया।

पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 लोगों की जान गई थी, को लेकर भी कांग्रेस ने सरकार को घेरा। रमेश ने कहा कि हमले के बाद सरकार ने न तो संसद का विशेष सत्र बुलाया और न ही सर्वदलीय बैठक में कोई ठोस चर्चा हुई। उन्होंने आरोप लगाया कि रक्षा मंत्री की अध्यक्षता में हुई दो बैठकों में कोई नतीजा नहीं निकला। "हमने मांग की थी कि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक हो, लेकिन सरकार ने इसे औपचारिकता तक सीमित रखा।"

रमेश ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार पहलगाम हमले जैसे गंभीर मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए 1975 के आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर विशेष सत्र बुलाने की योजना बना रही है। उन्होंने कहा, "2014 से देश में अघोषित आपातकाल लागू है। 50 साल पुरानी घटना को उठाकर सरकार आज के सवालों से ध्यान हटाना चाहती है।"

ट्रम्प ने 10 मई को भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम का श्रेय लेते हुए कहा था कि उन्होंने व्यापार समझौते का इस्तेमाल कर दोनों देशों को युद्ध से रोका। कांग्रेस ने पूछा कि पीएम मोदी और विदेश मंत्रालय ने इस दावे का खंडन क्यों नहीं किया। रमेश ने कहा, "ट्रम्प ने कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यह दावा किया, लेकिन भारतीय नेतृत्व चुप रहा। क्या यह देश के हित में है?"

कांग्रेस ने सरकार से मांग की है कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति पर स्पष्ट रुख अपनाए और ट्रम्प के दावों का जवाब दे। साथ ही, पहलगाम हमले के दोषियों को सजा दिलाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।