राहुल ने पूछा- "भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान, किसने अंग्रेजों के साथ गठबंधन किया? जब भारत की जेलें कांग्रेस नेताओं से भरी हुई थीं, तब देश को विभाजित करने वाली ताकतों के साथ राज्यों में सरकार कौन चला रहा था?" उन्होंने कहा कि राजनीतिक मंचों से झूठ फैलाने के बावजूद इतिहास को बदला नहीं जा सकता है। यहां यह बताना जरूरी है कि देश की आजादी की लड़ाई के योगदान में आरएसएस और भाजपा के पूर्ववर्ती हिन्दू महासभा, जनसंघ की कोई भूमिका नहीं थी। भाजपा के वैचारिक और राजनीतिक गुरु श्यामा प्रसाद मुकर्जी ने अंग्रेजों से दोस्ती की। मोहम्मद अली जिन्ना की पार्टी मुस्लिम लीग से समझौता कर दो राज्यों में सरकार तक चलाई। हिन्दू महासभा ने हमेशा जिन्ना की टू नेशन थ्योरी (दो राष्ट्र सिद्धांत- पाकिस्तान-हिन्दुस्तान) का समर्थन किया।
कांग्रेस का घोषणापत्र 5 अप्रैल को जारी हुआ था। 6 अप्रैल को मोदी का जो पहला बयान सहारनपुर की रैली में आया, उससे पता चलता है कि भाजपा औऱ मोदी दोनों ही कांग्रेस घोषणापत्र से असहज लग रहे हैं। कांग्रेस ने घोषणापत्र में अपनी प्राथमिकताओं को काफी स्पष्ट रूप से परिभाषित किया है। घोषणा पत्र में समानता और सामाजिक न्याय उसके एजेंडे में सबसे ऊपर है। युवा बेरोजगारी, जीएसटी के कारण व्यापारियों की परेशानी, किसानों की परेशानी, अचानक और पूर्ण नोटबंदी से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) की बर्बादी, महिलाओं के खिलाफ अपराध, एससी, एसटी, अल्पसंख्यकों को इंसाफ की बात शामिल है। उसने केंद्र सरकार द्वारा संवैधानिक संस्थानों के अपहरण का आरोप लगाया है। इस समय चुनाव आयोग, ईडी, सीबीआई, इनकम टैक्स जैसी एजेंसियों का इस्तेमाल जिस तरह हो रहा है, वो किसी से छिपा नहीं है।
खड़गे ने कहा- मोदी-शाह के पुरखों ने 1942 में "भारत छोड़ो" के दौरान, महात्मा गांधी के आवाहन व मौलाना आज़ाद की अध्यक्षता वाले आंदोलन का विरोध किया। सभी जानते है कि आपके पुरखों ने 1940's में मुस्लिम लीग के साथ मिलकर बंगाल, सिंध और NWFP में अपनी सरकार बनाई। खड़गे ने पूछा- क्या श्यामा प्रसाद मुख़र्जी ने तत्कालीन अंग्रेज़ी गवर्नर को ये नहीं लिखा कि 1942 के देश व कांग्रेस के भारत छोड़ो आंदोलन को कैसे दबाना चाहिए? और इसके लिए वे अंग्रज़ों का साथ देने के लिए तैयार है? मोदी-शाह व उनके मनोनीत अध्यक्ष आज कांग्रेस घोषणापत्र के बारे में उल्टी-सीधी भ्रांतियां फैला रहे हैं।