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प्रतीकात्मक तसवीर।

जानिए, रोहिंग्या मुसलिम कौन हैं और इन पर विवाद क्यों है 

देश में रोहिंग्या मुसलिम एक बार फिर से विवाद में हैं। विवाद शुरू हुआ मोदी सरकार के दो मंत्रालयों के बीच। केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी ने बुधवार को रोहिंग्या को दिल्ली में फ्लैट दिए जाने को लेकर ट्वीट किया तो केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसका खंडन कर दिया। मंत्रालय ने फ्लैट की जगह डिटेंशन सेंटर बनाए जाने को कहा। गृह मंत्रालय की यह सफाई तब आई जब विश्व हिंदू परिषद ने इसे मुद्दा बनाया और कई लोगों ने बीजेपी के कथित तौर पर बदले रुख पर सवाल किया।

रोहिंग्याओं को फ्लैट देने की बात को लेकर बीजेपी के 'रुख बदलने' से इसलिए जोड़ा जाने लगा कि बीजेपी रोहिंग्याओं के ख़िलाफ़ बोलती रही है। बीजेपी हिंदुत्व को मुद्दा बनाती है और इसमें रोहिंग्या का विरोध सबसे अहम मुद्दा है। क़रीब-क़रीब हर चुनावों में वह इसको मुद्दा बनाती रही है। तो सवाल है कि आख़िर रोहिंग्या कौन हैं और भारत में यह मुद्दा क्यों बनता है?

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रोहिंग्या कौन?

दरअसल, इसलाम को मानने वाला रोहिंग्या एक समुदाय है। वे मूल रूप से म्यांमार के रखाइन प्रांत में रहते थे और रखाइन बांग्लादेश की सीमा से जुड़ा है। ये लोग सदियों से वहाँ रहते आए हैं। रोहिंग्या खुद को मुस्लिम व्यापारियों के वंशज मानते हैं। लेकिन म्यांमार रोहिंग्याओं को अपना नागरिक नहीं मानता है।

रोहिंग्या 1948 में म्यांमार को आज़ादी मिलने के बाद से ही अपनी पहचान के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। कहा जाता है कि आज़ादी के बाद उन्होंने पहचान पत्र के लिए आवेदन किया था। तब उन्हें नागरिकों के कुछ अधिकार भी मिले थे। रोहिंग्या के लिए म्यांमार में साल 1962 काफी बदलाव वाला साबित हुआ। तब वहाँ सैनिक तख्तापलट हुआ और कट्टरपंथी माहौल बना। 1948 में उन्हें जो कुछ नागरिक अधिकार मिले थे वे भी छीन लिए गए। 

सैन्य शासन के अधीन ही उन्हें विदेशी क़रार दे दिया गया। तख्तापलट के बाद रोहिंग्याओं को विदेशी होने का पहचान पत्र दिया गया। हालाँकि बाद में उनके सामने ऐसी शर्तें रखी गईं कि वे अपनी नागरिकता साबित करें, लेकिन वे शर्तें इतनी सख़्त थीं कि वे यह सब साबित नहीं कर सके। 

रोहिंग्या मूल रूप से म्यांमार के होकर भी और सदियों से म्यांमार में रहकर भी नागरिक नहीं माने गए। म्यांमार उन्हें विदेशी मानता है और कहता है कि वे सभी बांग्लादेशी हैं।

म्यांमार क्यों नहीं स्वीकारता

म्यांमार तर्क देता रहा है कि रोहिंग्या बांग्लादेशी हैं जो अंग्रेजों के राज में म्यांमार में बस गए थे। उसका कहना है कि अंग्रेजों ने बड़ी तादाद में रोहिंग्या मुसलमानों को काम कराने के लिए म्यांमार भेजा। हालाँकि, बांग्लादेश म्यांमार के दावों को नकारता रहता है। उसका कहना है कि रोहिंग्या म्यांमार के ही हैं। इन दोनों देशों द्वारा स्वीकारने से इनकार किए जाने के बाद अब रोहिंग्या कहीं के नहीं रहे। उनकी नागरिकता किसी देश की नहीं है। दोनों देश उन्हें बाहरी मानते हैं। 

myanmar rohingya refugee india bjp stand - Satya Hindi

भारत में भी हैं रोहिंग्या?

इस बीच रोहिंग्या का म्यांमार में उत्पीड़न, शोषण हुआ और यहाँ तक कि क़त्लेआम भी हुआ। 2010 के बाद उनका उत्पीड़न बढ़ गया। म्यांमार में सैकड़ों रोहिंग्या मार डाले गए और उनके गांव के गांव जला डाले गए। कुछ रिपोर्टों में तो कहा गया कि सेना ने उन्हें चुन-चुनकर मारा था। बार-बार नरसंहार के बाद रोहिंग्याओं ने म्यांमार से पलायन शुरू कर दिया। सबसे ज्यादा रोहिंग्या बांग्लादेश में रह रहे हैं। 

म्यांमार में उत्पीड़न और शोषण के शिकार हज़ारों रोहिंग्या भारत भी आए हैं और देश के अलग-अलग हिस्सों में रहते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार रोहिंग्या दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, जम्मू-कश्मीर, हैदराबाद, आंध्र प्रदेश औक मणिपुर में रह रहे हैं।

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गृह मंत्रालय का अनुमान है कि इस समय देश में 40 हजार रोहिंग्या हैं। हालाँकि यूनाइटेड नेशंस हाई कमीशन फॉर रिफ्यूजी के मुताबिक़ देश में क़रीब 18 हजार रोहिंग्या रजिस्टर्ड हैं। 

रोहिंग्या पर बीजेपी का रुख

ये रोहिंग्या बीजेपी के लिए बड़ा मुद्दा रहे हैं। बीजेपी और हिंदूवादी समूह भारत में रोहिंग्या लोगों की मौजूदगी का विरोध करते रहे हैं। बीजेपी उन्हें अवैध घुसपैठिए के तौर पर पेश करती रही है। चुनावी रैलियों में उसका कहना रहा है कि रोहिंग्या बांग्लादेश के माध्यम से भारत में घुसपैठ करते हैं। 

बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले रोहिंग्या को चुनावी मुद्दा बनाया था। तब गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि हम भारत के किसी भी हिस्से में रोहिंग्या को रहने नहीं देंगे। इसी साल फ़रवरी में उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पहले अमित शाह ने एक रैली में कहा था कि कांग्रेस रोहिंग्या मुसलमानों की उत्तराखंड में बसने में मदद कर रही है।

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दिल्ली में रोहिंग्या का मामला भी बीजेपी द्वारा लंबे समय से उठाया जाता रहा है। बीजेपी 1990 के दशक से ही इस विषय को उठाती रही है। पूर्व मुख्यमंत्री मदन लाल खुराना ने इसे लेकर आंदोलन भी किया था। बीजेपी कहती है कि दिल्ली सरकार को घुसपैठियों की पहचान और उनके निष्कासन के साथ ही उन्हें यहां आने से रोकने के लिए ठोस कदम उठाना चाहिए।

दिल्ली बीजेपी के नेता आदेश गुप्ता ने कुछ महीने पहले ही आरोप लगाया था कि दिल्ली में बांग्लादेशी व रोहिंग्या घुसपैठियों को कांग्रेस और आम आदमी पार्टी संरक्षण दे रही है। उन्होंने इसको लेकर आंदोलन की धमकी दी थी। 

ऐसे में जब इसी बीजेपी के केंद्रीय मंत्री रोहिंग्या के लिए फ्लैट बनाने की बात करेंगे तो हंगामा तो होगा ही!

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क़मर वहीद नक़वी
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