केरल की नर्स निमिषा प्रिया की बुधवार को यमन में होने वाली फांसी स्थगित कर दी गई है। भारत सरकार 36 वर्षीय निमिषा प्रिया के मामले में हर संभव मदद देने की पूरी कोशिश कर रही है। जिसके उनके परिवार और बातचीत करने वाले लोगों को पीड़ित तलाल अब्दो महदी के परिवार के साथ आपसी सहमति से कोई हल निकालने के लिए अधिक समय मिल सके। यानी एक दिन के लिए जो फांसी रुकी है, उसका इस्तेमाल अब्दो महदी के परिवार से बातचीत में इस्तेमाल किया जाएगा।

फांसी एक दिन टलवाने के पीछे कौन 

निमिषा की फांसी टलने की वजह हैं भारत के ग्रैंड मुफ्ती, शेख अबूबकर अहमद, जिन्हें कंथापुरम ए.पी. अबूबकर मुस्लियार के नाम से भी जाना जाता है। इस वक्त मुस्लियार अपना पूरा ज़ोर लगा रहे हैं कि वो यमन में  तलाल के परिवार को मना सकें ताकि वो 'ब्लड मनी' यानी मुआवज़ा लेकर निमिषा को माफ कर दें। उन्होंने यमन के अधिकारियों से सीधे बात की है।
निमिषा के वकील सुभाष चंद्रन ने बताया है कि मुस्लियार साहब ने यमन में मारे गए महदी के परिवार से संपर्क किया है और यमन के धार्मिक और समुदाय से जुड़े नेताओं की मदद से कोई रास्ता निकालने की कोशिश कर रहे हैं। चंद्रन ने 'द न्यू इंडियन एक्सप्रेस' से कहा, “हम पूरी कोशिश कर रहे हैं कि तलाल का परिवार ब्लड मनी स्वीकार कर ले, ताकि निमिषा को फांसी से बचाया जा सके।” बताया जा रहा है कि 94 साल के मुस्लियार ने खुद यमन के धार्मिक नेताओं और पीड़ित के रिश्तेदारों से बातचीत शुरू कर दी है। जानकारी के मुताबिक, मुस्लियार ने उन लोगों से भी बात की है जो तलाल अब्दो महदी के परिवार के सीधे संपर्क में हैं।
ताज़ा ख़बरें
अब एक अहम मीटिंग यमन के धमार शहर में होनी है, जहां शेख हबीब उमर बिन हाफिज के प्रतिनिधि और पीड़ित का परिवार आमने-सामने बैठकर बातचीत करेंगे। इस बैठक में पीड़ित के एक करीबी रिश्तेदार भी शामिल होंगे, जो न सिर्फ हुबैदा राज्य की अदालत के मुख्य जज हैं, बल्कि यमन की शूरा परिषद के सदस्य भी हैं। उम्मीद की जा रही है कि इस बातचीत से कोई अच्छा नतीजा निकल सकता है।
इससे पहले भारत में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को 'सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल' की तरफ से दायर की गई याचिका पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटारमणी ने कोर्ट को बताया कि केंद्र सरकार अपनी तरफ से "हर मुमकिन कोशिश" कर रही है। लेकिन उन्होंने ये भी साफ किया कि यमन की अंदरूनी स्थिति और वहां के कानूनों की वजह से भारत की दखल देने की ताकत सीमित है। वहां पर सत्ता हूथियों के पास है, जिनसे भारत सरकार का कोई संपर्क नहीं है।
निमिषा प्रिया 2008 में यमन गई थीं नर्स की नौकरी करने, ताकि केरल में अपने मां-बाप की मदद कर सकें और अच्छा कमाने का मौका मिले। पहले उन्होंने वहां अस्पतालों में काम किया, लेकिन बाद में खुद का एक छोटा क्लिनिक खोल लिया। यमन के कानून के मुताबिक, किसी लोकल पार्टनर के बिना क्लिनिक नहीं चलाया जा सकता, तो उन्होंने तलाल अब्दोल महदी नाम के एक 37 साल के शख्स को पार्टनर बनाया।
लेकिन कुछ वक्त बाद महदी ने उन्हें परेशान करना शुरू कर दिया। उसने निमिषा के पैसे चुरा लिए और उनका पासपोर्ट भी छीन लिया, जिससे वो यमन से बाहर नहीं जा सकती थीं। हालात इतने खराब हो गए कि निकलने का कोई और रास्ता न देखकर, 2017 में निमिषा ने महदी को बेहोश करने के लिए उसे एक नींद की दवा का इंजेक्शन दे दिया, ताकि होश खोने के बाद वो अपना पासपोर्ट वापस ले सकें। लेकिन दुर्भाग्य से महदी की मौत हो गई और निमिषा को यमन से भागते वक्त गिरफ्तार कर लिया गया।
सरकार ने पहले एक यमनी वकील को निमिषा का केस लड़ने के लिए नियुक्त किया था, लेकिन एक्टिविस्ट बाबू जॉन, जो इस केस में निमिषा की तरफ से काम कर रहे हैं, वकील ने बताया कि उनकी सभी याचिकाएं खारिज कर दी गईं। 2023 में यमन की सुप्रीम ज्यूडिशियल काउंसिल ने निमिषा की सज़ा को बरकरार रखा और इसके बाद वहां के राष्ट्रपति ने फांसी की सज़ा को मंज़ूरी दे दी।
अब ब्लड मनी ही एक ऐसा रास्ता है जिसके जरिए निमिषा की फांसी को रोका जा सकता है । क्योंकि यमन के कानून के मुताबिक किसी की हत्या होने पर उसके परिवार को मुआवज़ा देकर माफ़ी मांगी जा सकती है। लेकिन ये पूरी तरह मृतक के परिवार पर निर्भर करता है कि वो मुआवज़ा स्वीकार करते हैं या नहीं। अगर वो 'ब्लड मनी' स्वीकार कर लें, तो इस्लामी क़ानून के तहत निमिषा को फांसी नहीं दी जा सकती। अब सबकी निगाहें यमन में होने वाली अहम बैठक पर टिकी हैं।