प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 75वें जन्मदिन के अवसर पर देशभर में भव्य समारोहों का आयोजन हो रहा है, लेकिन शिवसेना यूबीटी के मुखपत्र 'सामना' ने इस उत्सव पर कटाक्ष किया है और केंद्र सरकार की 11 वर्षों की नीतियों पर हमला बोला है। 'सामना' के संपादकीय में गरीबी, बेरोजगारी और आर्थिक असमानता जैसे गंभीर मुद्दों को उजागर करते हुए कहा गया है कि 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन पर निर्भर रहना देश के लिए शर्मिंदगी का विषय है। विपक्ष ने तो पीएम मोदी का जन्मदिन 'बेरोजगारी दिवस' के रूप में मनाने की बात कही है।
आधी आबादी गरीबी रेखा से नीचे तो पीएम के जन्मदिन का उत्सव मनाना क्या सही: सामना
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- 17 Sep, 2025
शिवसेना यूबीटी का मुखपत्र सामना ने सवाल उठाया कि जब आधी आबादी गरीबी रेखा से नीचे जी रही है तो प्रधानमंत्री के जन्मदिन पर भव्य उत्सव मनाना कितना उचित है। जानें पूरी रिपोर्ट।

'सामना' के संपादकीय में कहा गया है कि जब देश की आधी आबादी गरीबी रेखा से नीचे जी रही है, तब जन्मदिन का उत्सव मनाना क्या उचित है? संपादकीय में केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं पर व्यंग्य करते हुए कहा गया है कि 140 करोड़ की आबादी वाले देश में 80 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं। प्रधानमंत्री द्वारा प्रदान किए जा रहे 10 किलो अनाज से ही इनका चूल्हा जल रहा है। 'सामना' ने इसे 'देश की प्रगति का प्रमाण' बताते हुए तंज कसा कि यह गर्व का विषय नहीं, बल्कि चिंता का विषय है। इसने लिखा, 'भारत जैसे विशाल देश के लिए यह स्थिति शर्मनाक है। सरकार की नीतियां अमीरों को और अमीर बना रही हैं, जबकि आम आदमी भुखमरी की कगार पर है।'