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समझौता धमाका मामले में असीमानन्द सहित चारों अभियुक्त बरी

राष्ट्रीय जाँच एजेंसी यानी एनआईए की विशेष अदालत ने समझौता एक्सप्रेस धमाका मामले में स्वामी असीमानन्द सहित सभी चारों अभियुक्तों को बरी कर दिया है। बरी किये जाने वालों में असीमानंद के अलावा लोकेश शर्मा, कमल चौहान और रजिंदर चौधरी शामिल हैं। मामले में एक अभियुक्त सुनील जोशी की पहले ही मृत्यु हो चुकी है। 2007 में भारत से पाकिस्तान जा रही इस ट्रेन में हुए विस्फोट में 68 लोग मारे गए थे, जिनमें 10 भारतीय भी थे।

असीमानन्द को मक्का मसजिद धमाका और अजमेर धमाका मामले में भी अभियुक्त बनाया गया था, लेकिन वह इन दोनों ही मामलों में पहले ही निर्दोष क़रार दिए गए हैं। 

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पंचकूला में एनआईए की विशेष अदालत में पहले की सुनवाइयों के दौरान एनआईए ने कहा था कि असीमानन्द ने समझौता एक्सप्रेस धमाके के लिए लोगों को उकसाया था, उन्होंने पैसे की व्यवस्था भी की थी। यह भी आरोप था कि उन्होंने जान-बूझ कर अभियुक्तों को छिपाया था और उनकी मदद की थी। हालाँकि कोर्ट ने अपने फ़ैसले में एनआईए अफ़सरों की इन दलीलों को नहीं माना। 

समझौता एक्सप्रेस धमाका मामले की सुनवाई कम से कम 8 जजों ने की है। सीबीआई के विशेष जज जगदीप सिंह ने अगस्त, 2018 से इस मामले की सुनवाई की। जगदीप सिंह ने डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख राम रहीम सिंह के मामले की भी सुनवाई की थी। 

2017 में हुआ था विस्फोट 

साल 2007 में दिल्ली से अटारी जा रही समझौता एक्सप्रेस के साधारण श्रेणी के डिब्बे में विस्फोट हुआ था। 19 फ़रवरी, 2007 को दर्ज कराई गई एफ़आईआर के मुताबिक़, रात 11.53 बजे दिल्ली से क़रीब 80 किलोमीटर दूर पानीपत के दिवाना रेलवे स्टेशन के पास ट्रेन में विस्फोट हुआ था। पुलिस ने विस्फोट स्थल से दो सूटकेस बम बरामद किए थे। 

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सूटकेस कवर से संदिग्धों तक पहुँची थी पुलिस 

हरियाणा सरकार ने मामले की जाँच के लिए एक एसआईटी बनाई थी। सूटकेस कवर के ज़रिए पुलिस आरोपियों तक पहुँचने में कामयाब रही। जाँच में सामने आया कि ये कवर इंदौर के एक बाजार से ब्लास्ट के कुछ दिन पहले ख़रीदे गए थे। धमाके के एक महीने बाद 15 मार्च, 2007 को हरियाणा पुलिस ने इंदौर से दो संदिग्धों को गिरफ़्तार किया था। पहले हरियाण पुलिस ने इस मामले की जाँच शुरू की, पर बाद में विदेश मंत्रालय ने यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी को सौंप दिया। 

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क़मर वहीद नक़वी
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