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तांडव: अपर्णा पुरोहित पर अदालत सख़्त, खारिज़ की जमानत याचिका

वेब सिरीज 'तांडव' का मामला शांत नहीं हो रहा है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एमेज़ॉन इंडिया की शीर्ष अफ़सर अपर्णा पुरोहित की अग्रिम ज़मानत याचिका खारिज कर दी है। उत्तर प्रदेश के नोएडा में दर्ज एक एफ़आईआर में अपर्णा पर धार्मिक विद्वेष फैलाने और एक पूजा स्थल को अपवित्र करने के आरोप लगाए गए हैं।

बता दें कि ओटीटी प्लैटफ़ॉर्म एमेज़ॉन पर वेब सिरीज़ 'तांडव' दिखाया गया, जिसके बाद विवाद खड़ा हो गया। उस सिरीज़ पर हिन्दू देवी-देवताओं को अपमानित करने और हिन्दुओं की भावनाएं भड़काने के आरोप लगाए गए। उसके निर्माता-निर्देशक, अभिनेता और एमेज़ॉन के ख़िलाफ़ कई जगहों पर मामले दर्ज कराए गए।

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क्या कहा हाई कोर्ट ने?

अपर्णा पुरोहित को लखनऊ में इसी मामले में दायर एक दूसरे एफ़आईआर पर अग्रिम ज़मानत मिली हुई है। इलाहाबाद हाई कोर्ट की एक दूसरे बेंच ने पुरोहित को 9 मार्च तक की अग्रिम ज़मानत दी हुई है।

लेकिन नोएडा में दायर एफ़आईआर के मामले में अग्रिम ज़मानत याचिका को खारिज करते हुए जज जस्टिस सिद्धार्थ ने कहा,

"याचिकाकर्ता का व्यवहार दिखाता है कि नियम-क़ानून के प्रति उनके मन में कोई सम्मान नहीं है, उनका व्यवहार इस लायक नहीं है कि उन्हें कोई राहत दी जाए।"


इलाहाबाद हाई कोर्ट के निर्णय का अंश

भारत की बदनामी!

जज ने 20 पेज के आदेश में कहा कि जिस तरह का काम याचिकाकर्ता और दूसरे सह-अभियुक्तों ने किया है, वैसा जब देश के नागरिक करते हैं और सड़कों पर उतर कर धरना प्रदर्शन करते हैं तो विदेशों में यह संकेत जाता है कि भारत काफी असहिष्णु हो गया है और इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की बदनामी होती है।

जज ने कहा, "पश्चिम के उदार और लोकतांत्रिक देशों में यह बहस का मुद्दा बन जाता है और भारतीय राजनयिकों को बड़ी मुश्किल से देश के हितों की रक्षा करनी होती है और सबको आश्वस्त करना पड़ता है कि इस तरह के प्रदर्शन कहीं-कहीं ही हो रहे हैं, और ये पूरे देश के सहिष्णु होने का उदाहरण नहीं हैं।"

tandav : allahabad high court gives no relief to amazon india aparna purohit - Satya Hindi

विवादित हिस्सा हटाया

सूचना और प्रसारण मंत्रालय को मिली शिकायतों के बाद 'तांडव' की टीम और एमेज़ॉन प्राइम वीडियो के प्रतिनिधियों के बीच वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग के जरिये बातचीत हुई थी। इसके बाद एमेज़ॉनने विवादित सीन को हटाने का फ़ैसला किया।

'तांडव' के निर्देशक अली अब्बास ज़फर ने एक बयान जारी कर कहा है कि उनका इरादा किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का नहीं था और वे एक बार फिर इसके लिए लोगों से माफी मांगते हैं।

माफ़ी माँगी

उत्तर प्रदेश में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि ने कहा था कि वेब सीरीज 'तांडव' के निर्माताओं ने तब माफी मांगी जब हमने इसका विरोध किया और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कार्रवाई शुरू कर दी। उन्होंने कहा कि महज इस माफ़ी से काम नहीं चलने वाला है, बल्कि शपथपत्र देकर फिल्म जगत में काम करने वाले सभी संप्रदाय विशेष के कलाकार माफी मांगें और कहें कि आगे से कभी इस तरह की गलती नहीं करेंगे।

नरेंद्र गिरि ने कहा था कि फिल्म जगत के लोग सनातन परंपरा व हिन्दू धर्म का आए दिन अपमान करते रहते हैं। उन्होंने कहा कि फिल्म जगत में संप्रदाय विशेष के लोगों का वर्चस्व है जो इस तरह की हरकतें करते रहते हैं और अब अखाड़ा परिषद इस पर चुप नहीं बैठेगा।

विरोध क्यों?

क्या है मामला और इस वेब सिरीज़ में ऐसा क्या है कि हिन्दुओं की भावनाएं आहत हुई हैं? इसके दो दृश्यों पर लोगों को आपत्तियाँ हैं।

मुहम्मद जीशान अयूब ने जो भूमिका निभाई है, वह एक छात्र नेता की है जो कॉलेज के नाटक में शिव की भूमिका निभाता है। लेकिन नाटक में शिव को पारंपरिक हिन्दू देवता के रूप में नहीं दिखाया गया है। यह कलाकार सूट पहनता है, बाएं हाथ में त्रिशूल रखता है और चेहरे व गले पर नीले रंग का पेंट लगाए हुए है।

भगवान शिव सोशल मीडिया पर भगवान राम की तुलना में अपनी घटती लोकप्रियता पर चिंता जताते हैं और पूछते हैं कि उन्हें क्या करना चाहिए। इस पर श्रषि नारद उन्हें सलाह देते हैं कि उन्हें कुछ सनसनीखेज ट्वीट कर देना चाहिए। वे यह भी कहते हैं कि विश्वविद्यालय में छात्र आज़ादी-आज़ादी के नारे लगा रहे हैं।

इस दृष्य में यह भी कहा जाता है कि ये छात्र ग़रीबी, सामंतवाद और जाति- आधारित भेदभाव से आज़ादी चाहते हैं, पर उन्हें ग़लत समझा जा रहा है। भगवान शिव इस पर कहते हैं, "मतलब देश से आज़ादी नहीं चाहिए, देश में रहते हुए आज़ादी चाहिए।"

लोगों को एक दूसरे दृश्य पर भी आपत्ति है, जिसमें संध्या (संध्या मृदुल) और उनके पति कैलाश कुमार (अनूप सोनी) हैं। कैलाश कुमार संध्या के प्रेमी और उसके होने वाले बच्चे के पिता हैं। संध्या कहती है कि उसके पूर्व पति ने उसे एक बार एक बेहूदा बात कही थी। वह अपने पति को उद्धृत करती है। उसके पति ने कहा था कि जब कोई दलित किसी ऊँची जाति की स्त्री से प्रेम करता है तो वह अपने साथ और अपने समुदाय के साथ वर्षों से हुए भेदभाव का बदला लेता है।

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क़मर वहीद नक़वी
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