loader
https://humanrightscommission.house.gov/

अमेरिकी संसदीय समिति में फिर उठा कश्मीर का मुद्दा, भारत पर लगा दमन का आरोप

अमेरिका की कांग्रेसनल कमिटी यानी संसदीय समिति के सामने शुक्रवार को एक बार फिर कश्मीर का मुद्दा उठाया गया और वहाँ की स्थिति पर चिंता जताई गई। भारत सरकार की आलोचना की गई। समिति ने भारत से कहा कि वह सभी गिरफ़्तार और नज़रबंद लोगों को तुरन्त रिहा करे, विदेशी पत्रकारों और पर्यवेक्षकों को बेरोकटोक कश्मीर जाने दे और वहाँ ठप पड़ी संचार व्यवस्था को फिर से बहाल करे। 
अमेरिका में रहने वाले कश्मीरी मूल के लोगों, क़ानूनी  पर्यवेक्षकों, वकीलों और दूसरे लोगों ने टॉम लैन्टॉस ह्यूमन राइट्स कमीशन की सुनवाई में शिरकत की। पूरा मामला भारत के पक्ष और विपक्ष में बँटा हुआ था। कुछ लोगों ने भारत पर बेहद तीखा हमला किया तो कुछ दूसरे लोगों ने वहीं बाते कहीं जो अब तक भारत सरकार कहती आई है। 
देश से और खबरें
यह सुनवाई टॉम लैन्टॉस ह्यूमन राइट्स कमीशन में हुई। कमीशन अमरीकी संसद के निचले सदन हाउस ऑफ़ रिप्रज़ेंटेटिव्स का द्विपक्षीय समूह है, जिसका लक्ष्य अंतरराष्ट्रीय रूप से मान्य मानवाधिकार नियमों की वकालत करना है। कमीशन की ओर से 'भारत के पूर्व राज्य जम्मू और कश्मीर में ऐतिहासिक और राष्ट्रीय संदर्भ में मानवाधिकार की स्थिति की पड़ताल' के विषय पर सुनवाई रखी गई थी। 
जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी किए जाने और इसे दो केंद्र शासित राज्यों में बांटने के बाद मानवाधिकार की स्थिति को लेकर उठ रहे सवालों पर हुई इस सुनवाई में दो पैनल थे।
पहले पैनल में शामिल अमरीकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग की आयुक्त अरुणिमा भार्गव ने तीखा हमला बोलते हुए कहा कि 5 अगस्त को भारत सरकार द्वारा घाटी में पाबंदियां लगाए जाने के बाद शुरुआती हफ़्तों में ऐसी रिपोर्टें आईं कि लोग नमाज़ नहीं पढ़ पाए या मसजिद नहीं जा सके। उन्होंने कहा कि उसके बाद भी सख़्ती के कारण हिंदू और मुसलिम समुदायों के लोग त्योहारों को मनाने के लिए एकत्रित नहीं हो पाए।
दूसरे पैनल की सबसे पहली वक्ता ओहायो यूनिवर्सिटी में मानवविज्ञान की एसोसिएट प्रोफ़ेसर हेली डुशिंस्की ने 370 को निष्प्रभावी किए जाने को 'भारत का तीसरी बार किया कब्ज़ा' बताया। उन्होंने कहा कि इसस पहले 'भारत ने 1948 और फिर 1980 के दशक में अतिरिक्त सेना की तैनाती करके कश्मीर पर नियंत्रण किया था।'
दूसरे पैनल में सुनंदा वशिष्ठ समेत छह लोग थे। वशिष्ठ ने कहा, 'हम कश्मीर में इसलामी आतंकवाद से लड़ रहे हैं। सभी मौतें पाकिस्तान की ओर से ट्रेनिंग पाने वाले आतंकवादियों के कारण हो रही हैं। दोहरी बातों से भारत को कोई मदद नहीं मिल रही।'
बीजेपी की आईटी सेल ने वशिष्ठ के इस तीखे भाषण को लपक लिया और अपने ट्विटर हैंडल से उसकी क्लिप चला दी। उसके बाद वशिष्ठ ट्रेंड करने लगीं और अभी भी सोशल मीडिया पर छाई हुई हैं। आप भी देखें, उन्होंने क्या कहा था। 
वशिष्ठ ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को 'कट्टरपंथी इस्लामी आतंक' से निपटने में भारत की सहायता करनी होगी, तभी मानवाधिकारों को संरक्षण दिया जा सकेगा।
कश्मीरी मूल की इस लेखिका ने ज़ोरदार और तीखे स्वर में पाकिस्तान और मानवाधिकार की दुहाई देने वाले लोगों पर चोट किया। उन्होंने कहा : 

मुझे ख़ुशी है कि आज इस तरह की सुनवाइयाँ हो रही हैं क्योंकि जब मेरे परिवार और हमारे जैसे लोगों ने अपने घरों, आजीविका और जीवनशैली को छोड़ना पड़ा, तब दुनिया चुप बैठी थी। जब मेरे अधिकार छीने गए थे तब मानवाधिकार की वकालत करने वाले लोग कहां थे?


सुनंदा वशिष्ठ, लेखिका

वहीं मानवाधिकार की वकालत करने वालीं सेहला अशाई ने भारत सरकार पर कश्मीर के दमन का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि भारत द्वारा अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी बनाने से सभी धर्मों और समुदायों के लोग प्रभावित हुए हैं। उन्होंने इस संबंध में अमरीका से कूटनीतिक प्रयास करने की माँग की। 
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें