क्या आपको पता है कि सेबी यानी भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड को जाँच में इतना समय क्यों लग रहा है और उसने छह महीने का वक़्त और क्यों मांगा है? इसकी वजह आज सेबी ने बताई है। सुप्रीम कोर्ट में अपने जवाब में सेबी ने सोमवार को कहा कि उसने 2016 के बाद से किसी भी अडानी कंपनी की जांच नहीं की है। उसने कहा है कि ऐसा आरोप लगाने वाला कि एजेंसी 2016 से ही अडानी की कंपनियों की जाँच कर रही है, तथ्यात्मक रूप से गलत है।
कई याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगया है कि सेबी अडानी की कंपनियों के ख़िलाफ़ 2016 से ही जाँच कर रहा है। बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, इसी की प्रतिक्रिया में सेबी ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को रिज्वाइंडर देकर अपनी स्थिति साफ़ की है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की एक पीठ जल्द ही अडानी समूह के खिलाफ हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों की जाँच पूरी करने के लिए छह महीने के विस्तार की मांग करने वाले सेबी के आवेदन पर विचार करेगी।
सेबी ने सोमवार को अपने जवाब में दोहराया कि उसे अपनी जाँच पूरी करने के लिए समय विस्तार की ज़रूरत है। शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को कहा था कि बाजार नियामक द्वारा जाँच पूरी करने के लिए छह महीने का समय मांगा गया है।
बता दें कि तीन दिन पहले सुनवाई में अडानी-हिंडनबर्ग मामले को लेकर सेबी द्वारा जाँच के लिए छह महीने और मांगे जाने के अनुरोध को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। इसने कहा था कि वह अडानी समूह के खिलाफ हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच पूरी करने के लिए सेबी को इतनी मोहलत नहीं दे सकता है।
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सेबी ने छह महीने का वक़्त मांगते हुए अर्जी में कहा था, 'पूर्व परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, सही नतीजों पर पहुंचने और जांच समाप्त करने में और समय लगेगा। 12 संदिग्ध लेन-देन के संबंध में विनियमों की धोखाधड़ी और या लेन-देन की धोखाधड़ी की प्रकृति को देखते हुए, सेबी सामान्य रूप से इन लेनदेन की जांच पूरी करने में कम से कम 15 महीने का समय लेगा, लेकिन छह महीने के भीतर इसे ख़त्म करने के लिए पूरी कोशिश की जाएगी।'
सेबी ने कहा कि एक उचित जांच करने और सत्यापित निष्कर्षों पर पहुंचने के लिए यह न्याय के हित में होगा कि सुप्रीम कोर्ट कम से कम छह महीने तक जांच पूरी करने के लिए समय बढ़ाए।
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