नेशनल मॉनीटाइजेशन पाइपलाइन (एनएमपी) के ज़रिए छह लाख करोड़ रुपए का इंतजाम करने की सरकार की योजना और मुख्य विपक्षी दल के इसके ख़िलाफ़ ज़ोरदार सोशल मीडिया अभियान से कई सवाल खड़े होते हैं। 

आख़िर यह योजना क्या है, इससे सरकार को पैसे कैसे मिलेंगे और क्या वाकई ये परिसंपत्तियाँ बेच दी जाएंगी, यदि नहीं तो फिर पैसे कैसे मिलेंगे?

इन सवालों के उत्तर ढूंढना ज़रूरी है।

क्या है परियोजना?


सरकार का कहना है कि एनएमपी यानी नेशनल मॉनीटाइजेशन पाइपलाइन के तहत पहले से काम कर रही परियोजनाओं या परिसंपत्तियों का मालिकाना हक़ एक निश्चित समय के लिए निजी कंपनियों को दिया जाएगा, लेकिन उन्हें बेचा नहीं जाएगा।