कश्मीर के बारे में वहाँ के कुछ नेताओं के अजीबोग़रीब बयानों के बाद यह ख़बूसरत इलाक़ा फिर से चर्चा में है। देश की हर समस्या के लिए जवाहरलाल नेहरू को ज़िम्मेदार ठहराने वालों के सामने भी दुविधा है। जब जवाहरलाल नेहरू और सरदार पटेल के सामने कश्मीर समस्या आई थी तो देश की आर्थिक और सैनिक तैयारी बिलकुल नहीं थी। इंग्लैंड और अमेरिका भारत का विरोध कर रहे थे। अंग्रेजों से वफ़ादारी के इनाम के रूप में मुहम्मद अली जिन्ना को पाकिस्तान की बख़्शीश मिल चुकी थी। जिन्ना किसी भी क़ीमत पर जम्मू-कश्मीर पर कब्जा करने के चक्कर में थे और जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन राजा पाकिस्तान के साथ जाने के बारे में विचार कर रहे थे। लेकिन सरदार पटेल ने न केवल जम्मू-कश्मीर का भारत में बिना शर्त विलय करवाया, बल्कि अमेरिका और इंग्लैंड की मर्जी के ख़िलाफ़ पाकिस्तान को भी उसकी औक़ात दिखा दी।
नेहरू जैसी ‘बड़ी सोच’ से ही कश्मीर से ख़त्म होगा आतंकवाद
- जम्मू-कश्मीर
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- 6 Apr, 2019

सवाल जिस कश्मीरी अवाम ने कभी पाकिस्तान और उसके नेता मुहम्मद अली जिन्ना को धता बता दिया था और जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन राजा की पाकिस्तान के साथ मिलने की कोशिशों को फटकार दिया था और भारत के साथ विलय के लिए चल रही शेख़ अब्दुल्ला की कोशिश को अहमियत दी थी, आज वह भारतीय नेताओं से इतनी नाराज़ क्यों है?