सत्येंद्र जैन
आप - शकूर बस्ती
हार
सत्येंद्र जैन
आप - शकूर बस्ती
हार
कपिल मिश्रा
बीजेपी - करावल नगर
जीत
गोपाल राय
आप - बाबरपुर
जीत
अवध ओझा
आप - पटपड़गंज
हार
राज्यपाल थावर चंद गहलोत ने मंगलवार को धर्मांतरण विरोधी विधेयक पर अध्यादेश को अपनी सहमति दे दी। यह कर्नाटक सरकार द्वारा धर्मांतरण विरोधी अध्यादेश को मंजूरी देने के पांच दिन बाद आया है। 'धर्मांतरण विरोधी कानून' को सख्ती से लागू करने की कर्नाटक सरकार की प्रतिबद्धता दोहराते हुए राज्य के गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने मंगलवार को कहा कि यह किसी भी धर्म के ख़िलाफ़ नहीं है, लेकिन जबरन या प्रलोभन के माध्यम से धर्म परिवर्तन का क़ानून में कोई जगह नहीं है। वैसे, विरोधी इस विवादास्पद विधेयक को अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ क़रार देते रहे हैं।
यह वही 'कर्नाटक धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार का संरक्षण विधेयक' है जिसे पिछले साल दिसंबर में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा विधानसभा में पेश और पारित किया गया था। विधानसभा द्वारा पारित होने के बाद भी इसे राज्य विधान परिषद में पेश नहीं किया गया है।
पिछले साल शीतकालीन सत्र और इस साल दो सत्रों में विधान परिषद में इसे पेश नहीं किया गया था, क्योंकि बीजेपी को 75 सदस्यीय परिषद में विधेयक के गिरने की आशंका थी। ऐसा इसलिए कि संयुक्त विपक्ष कांग्रेस और जेडीएस के 41 सदस्य हैं जबकि बीजेपी के सिर्फ़ 32 सदस्य हैं। हालाँकि, अब विधानसभा में बहुमत होने के कारण 3 जून को सात सीटों के लिए मतदान होने पर बीजेपी को विधान परिषद में स्पष्ट बहुमत मिलने की उम्मीद है।
लेकिन अब अध्यादेश लाया गया है। पिछले हफ़्ते जब कैबिनेट की बैठक में अध्यादेश लाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी तब क़ानून मंत्री जे सी मधुस्वामी ने सफाई दी दी थी, 'निर्णय लिया गया क्योंकि विधान परिषद की फिर से बैठक कब होगी, इस पर कोई स्पष्टता नहीं है। अध्यादेश तब तक लागू रहेगा जब तक कि परिषद की अगली होने वाली बैठक में विधेयक पेश नहीं किया जाता है।'
पिछले हफ्ते बसवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली सरकार ने धर्मांतरण के खिलाफ विवादास्पद कानून को प्रभावी बनाने के लिए अध्यादेश लाने का फैसला किया था।
विपक्षी पार्टी कांग्रेस के विरोध के बावजूद धर्मांतरण विरोधी क़ानून लाने के लिए लंबे समय से कर्नाटक बीजेपी प्रयासरत है।
इस धर्मांतरण विरोधी विधेयक में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति गलत बयानी, बल, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, प्रलोभन या किसी कपटपूर्ण तरीके से या शादी से, किसी भी अन्य व्यक्ति को एक धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तित करने का प्रयास नहीं करेगा और न ही कोई व्यक्ति धर्मांतरण के लिए उकसाएगा या साजिश रचेगा।' प्रस्तावित कानून के अनुसार, धर्मांतरण की शिकायत परिवार के सदस्यों, संबंधित लोगों या यहां तक कि धर्म परिवर्तन करने वाले व्यक्ति के एक सहयोगी द्वारा भी की जा सकती है।
सामान्य वर्ग के लोगों के मामले में कानून का उल्लंघन करने वालों के लिए 3-5 साल की जेल और 25,000 रुपये का जुर्माना और एससी और एसटी समुदायों के नाबालिगों, महिलाओं और व्यक्तियों को परिवर्तित करने के मामले में 3-10 साल की जेल की सजा और 50,000 रुपये के जुर्माने का प्रस्ताव किया गया है।
ऐसे विवाहों के मामले में जहां विवाह की सुविधा के लिए धर्म परिवर्तन किया गया है, विवाह को कानूनी मान्यता तभी मिलेगी जब धर्मांतरण से 30 दिन पहले या इसके 30 दिन बाद जिला मजिस्ट्रेट के ध्यान में लाया गया हो।
About Us । Mission Statement । Board of Directors । Editorial Board | Satya Hindi Editorial Standards
Grievance Redressal । Terms of use । Privacy Policy
अपनी राय बतायें