सुमित्रानंदन पंत छायावाद और सौंदर्य के अप्रतिम कवि। प्रकृति उनके विशाल शब्द-संसार की आत्मा है। पंत जी का जन्म 20 मई, 1900 में अल्मोड़ा के कौसानी गाँव में हुआ था।
हिंदी बल्कि कहना चाहिए कि हिंदुस्तानी उपन्यास के विकास क्रम में 'काला जल' की दस्तावेज़ी अहमियत पहले संस्करण (प्रकाशन काल: 1965) से ही स्थापित हो गई थी।
12 मई 2020 ई. की रात दस बज कर अठारह मिनट पर मेरे मोबाइल की घंटी बजी। स्क्रीन पर नाम चमक रहा था – डॉ. अपूर्वानंद। मैंने फ़ोन उठाया और उधर से आवाज़ आई कि ‘नवल जी गुज़र गए।’
आज भी जब कभी मुग़ल काल के बादशाहों का ज़िक्र होता है तो औरंगज़ेब और दारा शिकोह बरबस ही आमने-सामने खड़े होते दिखते हैं। यह एक ऐसी कहानी है जिसमें भाई भाई का न हुआ, बेटा बाप का न हुआ और बाप बेटों का नहीं हुआ।
आज भारती जी की जयंती है। आज वह होते तो वह तिरानवे साल के होते। उन्हें 1972 में साहित्य में योगदान के लिए पद्मश्री पुरस्कार दिया गया था। आज उन्हें किस रूप में याद किया जाए?
देश में महिलाओं की हालत क्या है! कभी उन्नाव तो कभी हैदराबाद में दरिंदगी। एक घटना के बाद न्याय की माँग का शोर उठता है और फिर ऐसी ही दूसरी, तीसरी, चौथी… अनगिनत घटनाएँ।
हिन्दी के मशहूर कवि उदय प्रकाश की इस कविता के बहाने हम कश्मीर को समझने की कोशिश कर रहे हैं। हिन्दी दिवस पर यह कविता इसलिए भी अधिक महत्वपूर्ण है कि बच्चे 'क' से कलम और कबूतर सीखते हैं तो 'क' से कश्मीर भी होता है।
'भारत माता' के नारे नहीं लगाने पर क्यों पिटाई की जाती है? 'भारत माता' के नारे पर इतना ज़ोर क्यों? कौन हैं 'भारत माता'? इस पर प्रोफ़ेसर पुरुषोत्तम अग्रवाल ने किताब 'हू इज़ भारत माता' लिखी है। इसी मसले पर 'आशुतोष की बात' में देखिए पुरुषोत्तम अग्रवाल से बातचीत।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा पर हाल ही में एक किताब ‘आरएसएस और बहुजन चिंतन’ प्रकाशित हुई है। इस किताब के लेखक हैं कँवल भारती। पढ़िये ईश मिश्र की समीक्षा, क्या है इस किताब में।