बता दें कि नायडू विपक्षी दलों की एकजुटता को लेकर बेहद मुखर रहे हैं और वह कहते रहे हैं कि नरेंद्र मोदी को सत्ता से बेदख़ल करने और बीजेपी को हराने के लिए यह बेहद ज़रूरी है। नायडू विपक्षी दलों के नेताओं को जोड़ने में लगातार जुटे हुए हैं।
आज़ाद ने यह भी कहा कि कांग्रेस का एकमात्र लक्ष्य बीजेपी सरकार को सत्ता से हटाना है। हालाँकि बाद में उन्होंने अपने बयान पर यू-टर्न भी ले लिया था लेकिन इतना तय है कि बीजेपी को सत्ता से दूर रखने के लिए कांग्रेस को तीसरे मोर्चे को समर्थन देने में कोई परेशानी नहीं होगी।
शुक्रवार को हुई प्रेस कॉन्फ़्रेंस में राहुल गाँधी ने भी चुनाव नतीजे आने के बाद गठबंधन बनाने का संकेत दिया था। एक सवाल के जवाब में राहुल ने कहा था कि विचाराधारा के स्तर पर मायावती, मुलायम सिंह, ममता और चंद्रबाबू नायडू बीजेपी को सपोर्ट नहीं करेंगे।
नायडू के अलावा तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव भी विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश में जुटे हैं। केसीआर ने तेलंगाना का मुख्यमंत्री बनने के बाद केंद्र में ग़ैर-बीजेपी और ग़ैर-कांग्रेस मोर्चा बनाने की कवायद तेज़ कर दी थी।
केसीआर फ़ेडरल फ़्रंट बनाना चाहते हैं और इस सिलसिले में वह डीएमके प्रमुख स्टालिन से लेकर तमाम नेताओं से मुलाक़ात कर चुके हैं। उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक भी फ़ेडरल फ़्रंट के पक्ष में बताए जाते हैं।