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आरटीआई एक्टिविस्ट को एक रुपये का हर्जाना देने का आदेश

मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयोग के एक आयुक्त ने आरटीआई के एक एक्टिविस्ट को एक रुपये का हर्जाना अदा करने का दिलचस्प आदेश दिया है। आदेश में एक रोचक तथ्य यह भी है कि जानकारी छिपाने वाले अफ़सर पर आयोग ने कुल 50 हजार रुपये का जुर्माना ठोका है। गुरुवार को आया आयोग का यह फ़ैसला ख़ासा चर्चाओं में है।आधिकारिक जानकारी के अनुसार, मामला भोपाल के पड़ोसी जिले राजगढ़ के ब्यावरा तहसील से जुड़ा है। मध्य प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह भी राजगढ़ लोकसभा सीट से सांसद रह चुके हैं। ब्यावरा में राशिद जमील ख़ान नामक एक आवेदक ने नगर पालिका से साल 2015 में कुछ जानकारियाँ माँगी थीं। लेकिन मुख्य नगर पालिका अधिकारी इकरार अहमद जानकारी देने में हीला-हवाली करते रहे।
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तमाम कोशिशों के बाद भी नगर पालिका ब्यावरा से जानकारी न मिलने पर राशिद ने राज्य सूचना आयोग की शरण ली थी। मामले में आयोग ने कुल आठ सुनवाईयाँ कीं थीं। महज दो बार इकरार अहमद पेशी पर पहुँचे। साल 2017 में आयोग ने 25 हजार रुपये का अर्थदंड इकरार अहमद पर लगाया। माँगी गई जानकारी तत्काल देने का आदेश भी किया। राज्य सूचना आयुक्त के इस आदेश का पालन मुख्य नगर पालिका अधिकारी इकरार अहमद ने नहीं किया।
RTI ACTIVIST RASHID JAMEEL KHAN MADHYA PRADESH - Satya Hindi
राशिद जमील ख़ान, आरटीआई एक्टिविस्ट।
राशिद जमील ख़ान 10 जुलाई को तीसरी बार आवेदन लेकर सूचना आयोग पहुँचे। सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने पूरे मामले को सुनने के बाद गुरुवार को आदेश सुनाया। अपने आदेश में आयुक्त ने नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव संजय दुबे को निर्देश दिये हैं कि सूचना छिपाने वाले अफ़सर इकरार अहमद की तनख्वाह में से 50 हजार रुपये की कटौती करते हुए अर्थदंड की राशि 30 दिन के भीतर आयोग में जमा करवाई जाये।
सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव को यह निर्देश भी दिये हैं कि आरटीआई एक्टिविस्ट राशिद जमील ख़ान को अवार्ड किये गये एक रुपये की हर्जाना राशि एक सप्ताह में अदा कर दी जाये।
यहाँ बता दें कि आवेदक राशिद ने ही एक रुपये का हर्जाने का आदेश करने का अनुरोध आयोग से किया था। आयोग बार-बार पेशी पर आने के ख़र्च के साथ मानसिक रूप से हुई क्षति की भरपाई भी करना चाहता था। मगर ख़ान इसके लिए तैयार नहीं हुए। जिरह के दौरान उन्होंने आयुक्त सिंह से कहा, ‘ऊपर वाले ने उसे सबकुछ अता किया हुआ है। वह तो चार सालों के दरमियान हुई मानसिक यंत्रणा के लिए विभाग पर एक रुपये मात्र का सांकेतिक हर्जाना चाहता है।’ आयोग ने एक्टिविस्ट के अनुरोध का सम्मान करते हुए हर्जाना देने का आदेश दिया।
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मुख्य सूचना आयुक्त ने भी सुना था केस

सबसे पहले यह मामला मुख्य सूचना आयुक्त की कोर्ट में लगा था। आवेदक राशिद जमील ख़ान ने सुनवाई की धीमी गति के साथ समेत तमाम मसलों से जुड़े सवाल उठाये थे। बाद में यह मामला सूचना आयुक्त आत्मदीप की कोर्ट में गया। उन्होंने सूचना देने में आनाकानी करने वाले अफ़सर पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था। लेकिन आत्मदीप की कोर्ट से आये निर्णय का पालन मुख्य नगर पालिका अधिकारी ने नहीं किया था।

ये जानकारियाँ छिपाई गईं

ख़ान ने 2015 में सांसद (मौजूदा बीजेपी सांसद रोडमल नागर ही सांसद थे) की निधि से हुए कामों के गुणवत्ता की टेस्ट रिपोर्ट और नगर पालिका द्वारा वर्ष 2015 में कराये गये विभिन्न निर्माण कार्यों की सूची माँगी थी। एक्टिविस्ट ने टेस्ट रिपोर्ट देने वाली लैब का नाम भी चाहा था। निरंतर चक्कर लगाने के बावजूद राशिद को जानकारियाँ नहीं मिल पायी थीं। नगर पालिका ब्यावरा ये जानकारियाँ छिपाता रहा था।
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संजीव श्रीवास्तव
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