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ओवैसी का तंज- 'ताजमहल के नीच पीएम की डिग्री ढूँढी जा रही है'

एआईएमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने ताजमहल के 22 कमरों के विवाद को लेकर प्रधानमंत्री मोदी पर तंज कसा है और कहा है कि 'वे ताजमहल के नीचे पीएम की डिग्री की तलाश कर रहे हैं'। वह शनिवार को महाराष्ट्र के भिवंडी में एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे।

उनका यह बयान उस संदर्भ में आया है जिसमें हाल में ताजमहल का विवाद सामने आया था। कुछ दक्षिणपंथी लोगों द्वारा आगरा में ताजमहल में 22 बंद कमरों को खोले जाने की मांग की जा रही थी और पूछा जा रहा था कि उसके पीछे का राज क्या है। बीजेपी की अयोध्या इकाई के मीडिया प्रभारी रजनीश सिंह द्वारा दायर की गई याचिका में दावा किया गया कि समाधि वास्तव में एक पुराना शिव मंदिर है।

हालाँकि उस याचिका को 12 मई को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया और कहा कि ऐसी चीजों को 'इतिहासकारों पर छोड़ दिया जाना चाहिए'। हाईकोर्ट ने कहा कि ताजमहल किसने बनवाया ये तय करना कोर्ट का काम नहीं है, ऐसे तो कल आप जजों से चेंबर में जाने की मांग करेंगे।

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बता दें कि हाल में वाराणसी की ज्ञानवापी मसजिद, मथुरा के श्रीकृष्ण जन्म भूमि मामले सहित कई ऐसी मसजिदों और दरगाहों को लेकर दावा किया जा रहा है कि वहाँ पहले मंदिर था और उन जगहों की खुदाई की मांग की जा रही है।

इसी मामले के संदर्भ में ओवैसी ने प्रधानमंत्री मोदी की डिग्री को लेकर तंज कसा। उनकी डिग्री को लेकर पहले काफ़ी विवाद रहा है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 2016 में मोदी की डिग्री पर सवाल खड़ा करते हुए सूचना विभाग से उनकी मार्कशीट की मांग की थी, जिसके बाद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और वित्त मंत्री अरुण जेटली ने प्रेस कांफ्रेंस कर केजरीवाल के आरोपों का खंडन करते हुए, मोदी की मार्कशीट की कॉपी पेश की थी। हालाँकि, इसके बावजूद लगातार विवाद उठता रहा।

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'द वायर' की रिपोर्ट के अनुसार 2016 में गुजरात विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति एमएन पटेल ने कहा था कि ‘हम किसी भी छात्र की डिग्री या मार्कशीट किसी भी मीडिया या तीसरे व्यक्ति को नहीं दे सकते। विश्वविद्यालय 30 वर्ष पुराना कोई भी दस्तावेज़ देने के लिए बाध्य नहीं है। मुझे सूचना विभाग या पीएमओ से किसी भी तरह का निर्देश नहीं मिला है और अगर वहां से कोई भी निर्देश दिया जाएगा, तभी मार्कशीट मीडिया से साझा किया जाएगा।’

'भारत द्रविड़ों, आदिवासियों का है'

बहरहाल, ओवैसी ने कहा कि बीजेपी इस बारे में बात करती रहती है कि मुगल भारत के बाहर से कैसे आए, लेकिन दुनिया के विभिन्न हिस्सों में कई अन्य समुदायों ने भी ऐसा ही किया। उन्होंने कहा कि केवल द्रविड़ और आदिवासी ही भारत से हैं।

उन्होंने कहा, 'भारत न मेरा है, न ठाकरे का, न मोदी-शाह का। अगर भारत किसी का है, तो वह द्रविड़ और आदिवासी का है। बीजेपी-आरएसएस मुगलों के ही पीछे पड़े हैं। लेकिन वास्तव में भारत तब गठित हुआ जब अफ्रीका, ईरान, मध्य एशिया और पू्र्व एशिया से लोगों का पलायन हुआ था।'

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क़मर वहीद नक़वी
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