महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार फिर विवादों में है। इस बार आईपीएस अधिकारी को कथित तौर पर धमकाने के लिए। सोलापुर जिले में अवैध मुरम खनन के खिलाफ कार्रवाई कर रही एक महिला आईपीएस अधिकारी को कथित तौर पर डांटने का अजित पवार का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। इस वीडियो में अजित पवार को अधिकारी से कहते सुना गया है, 'सुनो, मैं डिप्टी सीएम बोल रहा हूं, और तुम्हें आदेश देता हूं कि इसे रोक दो। इतना डेयरिंग हुआ है क्या?' 

यह घटना सोलापुर जिले के माढा तालुका के कुरडू गांव में दो दिन पहले यानी 3 सितंबर 2025 को घटी। स्थानीय लोगों की शिकायत के आधार पर कर्माला की उप-विभागीय पुलिस अधिकारी यानी एसडीपीओ अंजना कृष्णा अवैध मुरम खनन के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने पहुँची थीं। मुरम सड़क निर्माण में आधार और भराव सामग्री के रूप में व्यापक रूप से उपयोग होता है। इसका अवैध खनन क्षेत्र में एक गंभीर समस्या बन चुका है।
जब अंजना कृष्णा कार्रवाई कर रही थीं तो खनन करने वालों ने इसका विरोध किया। स्थानीय एनसीपी कार्यकर्ताओं ने उप मुख्यमंत्री अजित पवार से फोन पर बात कराने के लिए अपना फोन अधिकारी को दिया। वीडियो में अंजना कृष्णा को यह कहते सुना जा सकता है कि वह डिप्टी सीएम को पहचान नहीं रही हैं। वह कहती सुनी जा सकती हैं, 'कृपया आप मुझे मेरे नंबर पर सीधे कॉल करें।' इस जवाब से नाराज होकर अजित पवार ने कथित तौर पर गुस्से में जवाब दिया, 'मैं कार्रवाई करूंगा। मैं खुद बोल रहा हूं और कह रही हो कि मुझे सीधे कॉल करो?... वीडियो कॉल पर चेहता तो पहचानोगी न? इतना डेयरिंग हुआ है क्या? मुझे अपना नंबर दो, मैं वीडियो कॉल करूंगा।'

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार इसके बाद अजित पवार ने वीडियो कॉल के ज़रिए अंजना कृष्णा से बात की और कथित तौर पर उन्हें कार्रवाई रोकने का आदेश दिया। वीडियो में पवार को यह कहते हुए भी सुना गया, 'तहसीलदार को बता दो कि डिप्टी सीएम के आदेश पर कार्रवाई रोकी गई है।' इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैल गया, जिसके बाद विवाद ने तूल पकड़ लिया।

एनसीपी ने दी सफाई

विवाद बढ़ने के बाद एनसीपी ने इस मामले पर सफाई दी। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष सुनील तटकरे ने कहा कि अजित पवार का इरादा कार्रवाई को पूरी तरह रोकना नहीं था, बल्कि वे स्थानीय कार्यकर्ताओं को शांत करने के लिए अधिकारी को डांट रहे थे। तटकरे ने दावा किया कि वीडियो को जानबूझकर लीक किया गया है ताकि अजित पवार की छवि को नुकसान पहुंचाया जाए। उन्होंने कहा, 'अजित दादा अपने सीधे-सादे बोलने के लिए जाने जाते हैं। वे कभी भी अवैध गतिविधियों का समर्थन नहीं करते। शायद उनका इरादा स्थिति को शांत करने के लिए कार्रवाई को कुछ समय के लिए रोकना था।'
हालाँकि, एनसीपी की यह सफाई विवाद को कम करने में ज्यादा प्रभावी नहीं रही। सोशल मीडिया पर कई यूजरों ने अजित पवार के रवैये की आलोचना की और इसे एक वरिष्ठ राजनेता द्वारा अपने पावर का दुरुपयोग करने का उदाहरण बताया। शिवसेना यूबीटी की नेता सुषमा अंधारे ने इस घटना पर तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा कि यह 'लोकतंत्र के लिए शर्मनाक' है। प्रियंका चतुर्वेदी ने ट्वीट किया है, 'सत्ता का गुरूर तो देखिए! तू तड़ाक करके एक महिला अधिकारी से बात करना एक उपमुख्यमंत्री का अहंकार दर्शाता है!'
वीडियो में अंजना कृष्णा की प्रतिक्रिया को कई लोगों ने उनकी निष्पक्षता और कर्तव्यनिष्ठा का प्रतीक बताया। सोशल मीडिया पर कई लोगों ने उनकी हिम्मत और पेशेवर रवैये की सराहना की। हालांकि, इस घटना के बाद अंजना कृष्णा ने सार्वजनिक रूप से कोई बयान नहीं दिया है, और पुलिस विभाग भी इस मामले पर आधिकारिक टिप्पणी से बच रहा है।

इस वीडियो ने महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया तूफान खड़ा कर दिया है। विपक्षी दलों, खासकर शिवसेना (यूबीटी) और कांग्रेस ने इस घटना को लेकर अजित पवार और एनसीपी पर निशाना साधा है। कुछ यूजरों ने इसे अधिकारी बनाम राजनेता का मुद्दा बताया, तो कुछ ने इसे महिलाओं के खिलाफ अनुचित व्यवहार के रूप में देखा।
इसके अलावा, यह घटना महाराष्ट्र में अवैध खनन की गंभीर समस्या को भी उजागर करती है। सोलापुर जैसे क्षेत्रों में मुरम और रेत का अवैध खनन लंबे समय से एक मुद्दा रहा है, और स्थानीय राजनेताओं पर अक्सर इसमें शामिल होने के आरोप लगते रहे हैं। इस घटना ने इस मुद्दे को फिर से चर्चा में ला दिया है।

अजित पवार का यह वायरल वीडियो न केवल उनकी छवि के लिए एक झटका है, बल्कि यह राजनेताओं और नौकरशाही के बीच तनाव को भी दिखाता है। यह सवाल उठता है कि क्या राजनेता अपने पावर का दुरुपयोग कर अधिकारियों पर दबाव डालने की कोशिश करते हैं। एनसीपी की सफ़ाई के बावजूद, यह विवाद जल्द खत्म होने के आसार नहीं दिख रहे।