महाराष्ट्र की विपक्षी पार्टियों ने वोटर लिस्ट में बड़े पैमाने पर हुई कथित अनियमितताओं के खिलाफ एकजुट होकर आवाज उठाई है। शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे, मनसे प्रमुख राज ठाकरे, कांग्रेस और शरद पवार की एनसीपी के नेताओं ने शनिवार को मुंबई में एक विरोध रैली में हिस्सा लिया, जिसे 'सत्याचा मोर्चा' नाम दिया गया। इस दौरान यह घोषणा की गई कि अनियमितताओं के खिलाफ विपक्ष अब कानूनी लड़ाई लड़ेगा।

मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने इस दौरान मतदाता सूची में फर्जीवाड़े का आरोप लगाते हुए सत्तारूढ़ दल के नेताओं पर पलटवार किया। उन्होंने मालाबार हिल विधानसभा क्षेत्र का उदाहरण देते हुए दावा किया कि 4,500 ऐसे लोगों ने मुंबई में वोट डाले, जो वास्तव में कल्याण ग्रामीण, भिवंडी और मुरबाड जैसे दूर के क्षेत्रों में रजिस्टर्ड हैं। उन्होंने कहा, "यह सिर्फ एक उदाहरण है। ऐसे लाखों मामले हैं।" राज ने मतदाता सूची को ठीक किए बिना चुनाव कराने की जल्दबाजी पर भी सवाल उठाया।

राज ठाकरे ने जनता से आह्वान किया कि मतदान के दिन यदि कोई फर्जी मतदाता किसी पोलिंग स्टेशन के पास पाया जाता है, तो लोग अपने तरीके से उससे निपटें। उन्होंने कहा, "ऐसे गलती करने वाले लोगों को पुलिस को सौंपने से पहले उन्हें सबक सिखाओ।" राज ने जोर देकर कहा कि यह रैली दिल्ली को एक मजबूत संदेश भेजने के लिए ताकत और गुस्से को दर्शाती है।

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विपक्षी नेताओं ने पिछले कुछ दिनों में राज्य चुनाव आयोग के अधिकारियों के साथ कई दौर की बैठकें की थीं। उन्होंने मांग की थी कि जब तक वोटर लिस्ट की त्रुटियां ठीक नहीं हो जातीं, तब तक चुनाव स्थगित किए जाएं। अपनी मांग पर कोई संतोषजनक प्रतिक्रिया न मिलने के कारण, विपक्ष ने अब चुनावी रोल में हुई गड़बड़ियों को लेकर कोर्ट का रुख करने की योजना बनाई है।

शिवसेना (यूबीटी) नेता उद्धव ठाकरे ने इस संबंध में कहा, "हम वोटर लिस्ट की अनियमितताओं के खिलाफ कोर्ट जाएंगे। हमें न्याय मिलने की उम्मीद है। लेकिन अगर हमें न्याय नहीं मिलता है, तो यह जनता को तय करना है कि ऐसे चुनावों को अनुमति दी जानी चाहिए या नहीं।"

महाराष्ट्र में वोट चोरी का पूरा मामला क्या है

महाराष्ट्र में वोट चोरी का विवाद एक प्रमुख राजनीतिक मुद्दा बना हुआ है। यह विवाद मुख्य रूप से मतदाता सूचियों में कथित बड़ी अनियमितताओं और फर्जी मतदाताओं के आरोपों पर केंद्रित है। विपक्षी दलों का दावा है कि ये गड़बड़ियाँ सत्तारूढ़ गठबंधन को अनुचित लाभ पहुँचाने के लिए की गई हैं, जिससे लोकतंत्र पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

हालांकि नेता विरक्ष राहुल गांधी लंबे समय से वोट चोरी के दस्तावेज पेश कर रहे थे। लेकिन महाराष्ट्र में यह विवाद तब गहराया जब विपक्षी नेताओं, विशेषकर मनसे प्रमुख राज ठाकरे और शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे, ने फर्जी मतदाताओं के चौंकाने वाले आंकड़े सार्वजनिक रूप से पेश किए। राज ठाकरे ने दावा किया कि महाराष्ट्र की मतदाता सूची में करीब 96 लाख फर्जी वोटर शामिल हैं, जबकि शिवसेना (यूबीटी) ने भी लगभग एक करोड़ फर्जी मतदाताओं के होने का आरोप लगाया है। उन्होंने मालाबार हिल जैसे विधानसभा क्षेत्रों के विशिष्ट उदाहरण दिए, जहाँ कल्याण और भिवंडी जैसे दूर के क्षेत्रों में पंजीकृत लोगों द्वारा वोट डाले जाने का आरोप लगाया गया। इन दावों का समर्थन कांग्रेस और शरद पवार की एनसीपी जैसे अन्य विपक्षी दलों ने भी किया है, जो इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया का अपमान मानते हैं।
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विपक्षी दलों ने इन अनियमितताओं को ठीक करने के लिए राज्य चुनाव आयोग (SEC) से कई बार मुलाकात की और मांग की कि जब तक मतदाता सूची पूरी तरह से शुद्ध नहीं हो जाती, तब तक आगामी स्थानीय निकाय चुनावों को स्थगित किया जाए। चुनाव आयोग से संतोषजनक प्रतिक्रिया न मिलने पर, विपक्षी गठबंधन, जिसमें अब उद्धव ठाकरे, राज ठाकरे, कांग्रेस और एनसीपी (शरद पवार) शामिल हैं, ने 'सत्याचा मोर्चा' नामक एक बड़ा विरोध प्रदर्शन आयोजित किया। इस मोर्चे के बाद, उन्होंने घोषणा की है कि वे दस्तावेजी सबूतों के साथ इन गड़बड़ियों के खिलाफ न्याय पाने के लिए अब कोर्ट का रुख करेंगे। विपक्ष का मुख्य आरोप है कि चुनाव आयोग और राज्य सरकार की मिलीभगत से यह 'वोट चोरी' हो रही है।