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जल्दबाजी में द वायर के संपादकों के यहाँ छापे मारे: एडिटर्स गिल्ड

एडिटर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया ने द वायर के संस्थापक संपादकों और वरिष्ठ संपादकों के घरों, कार्यालय की तलाशी और उपकरण जब्त करने की कार्रवाई की आलोचना की है। दिल्ली पुलिस ने 31 अक्टूबर को यह कार्रवाई की थी। इसके अलावा कई पत्रकार संघों ने भी इस कार्रवाई पर चिंता जताई है।

बीजेपी के प्रवक्ता अमित मालवीय द्वारा धोखाधड़ी, जालसाजी, मानहानि, आपराधिक साजिश का आरोप लगाने वाली एफआईआर के आधार पर दिल्ली पुलिस ने यह कार्रवाई की थी। मालवीय ने द वायर की एक रिपोर्ट को लेकर कुछ दिन पहले ही एफ़आईआर दर्ज कराई है। टेक कंपनी मेटा से जुड़ी उस रिपोर्ट को द वायर ने अपनी वेबसाइट से हटा लिया है। उस रिपोर्ट पर कई सवाल खड़े हुए थे।

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एडिटर्स गिल्ड ने बयान में कहा है कि जिस जल्दबाजी के साथ पुलिस ने कई जगहों पर तलाशी ली, वह बहुत ज़्यादा है। बयान में आगे कहा गया है, 'वायर द्वारा प्रकाशित एक बयान के अनुसार, पुलिस कर्मियों ने पत्रकारों के घरों के साथ-साथ कार्यालय से फोन, कम्प्यूटर और आईपैड को जब्त कर लिया और अनुरोध किए जाने के बावजूद डिजिटल उपकरणों का कोई हैश वैल्यू भी नहीं दिया गया। यह जाँच की प्रक्रियाओं और नियमों का गंभीर उल्लंघन है।'

बयान में यह भी कहा गया है कि संपादकों और पत्रकारों के डिजिटल उपकरणों में पत्रकारिता के स्रोतों और रिपोर्टों से जुड़ी संवेदनशील जानकारी होगी, इस तरह की बरामदगी में इसकी गोपनीयता भंग हो सकती है।

एडिटर्स गिल्ड ने कहा है कि वह आगे दिल्ली पुलिस से इस मामले में दर्ज सभी शिकायतों की जांच में निष्पक्ष होने और लोकतांत्रिक सिद्धांतों की अवहेलना में डराने वाली रणनीति का उपयोग नहीं करने का आग्रह करता है।

प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया, दिल्ली यूनियन ऑफ़ जर्नलिस्ट्स, प्रेस एसोसिएशन, वर्किंग न्यूज कैमरामैन एसोसिएशन, इंडियन जर्नलिस्ट्स यूनियन, डिजीपब न्यूज इंडिया फाउंडेशन और केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स ने भी एक संयुक्त बयान जारी किया है।

मंगलवार को जारी इस साझे बयान में कहा गया है कि प्राथमिकी में नामित लोगों के डिजिटल उपकरण जब्त किए गए हैं। बयान में कहा गया है कि हम जो जानते हैं, बिना उचित प्रक्रिया के पालन किए ही यह किया गया।

संगठनों ने कहा कि एफ़आईआर एक पोस्ट के बारे में द वायर में प्रकाशित रिपोर्ट से संबंधित है जिसे 'एक सोशल मीडिया इंटरमीडियरी द्वारा हटा दिया गया था'। बयान में कहा गया है, 'शिकायतें तब दर्ज की गईं जब द वायर ने अपनी रिपोर्टों को वापस ले लिया और अपने पाठकों के लिए माफी जारी कर दी, इस वादे के साथ कि तकनीकी साक्ष्य से जुड़ी संपादकीय प्रक्रियाओं में कठोरता का पालन किया जाएगा। द वायर के लोकपाल ने भी पाठकों को आश्वासन दिया कि खामियों को बहुत गंभीरता से देखा जाएगा।'

बयान में यह भी कहा गया है, 'यह आश्चर्य की बात है कि समाचार पोर्टल द्वारा अपनी संपादकीय चूक के लिए वापसी वाला एक विस्तृत बयान जारी करने और इसे सार्वजनिक डोमेन में डाले जाने के बाद भी, दिल्ली पुलिस ने भाजपा नेता की शिकायत के आधार पर एक प्राथमिकी दर्ज की और अस्वाभाविक मुस्तैदी के साथ जांच को आगे बढ़ाने का फैसला किया।'

बयान में यह भी कहा गया है, 'पीसीआई का विचार है कि मीडिया की ज़िम्मेदारी है कि वह रिपोर्ट करे और उसे हर समय रिपोर्टिंग के लिए जिम्मेदार होना चाहिए।' इसने आगे कहा, 

जिस तरह से दिल्ली पुलिस ने भाजपा प्रवक्ता की शिकायत पर कार्रवाई की है, वह सरासर बदले की भावना है। इस तरह की कार्रवाइयों का बाकी मीडिया पर बुरा प्रभाव पड़ता है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर भी प्रभाव पड़ता है।


पीसीआई का बयान, (द वायर के संपादकों के छापों पर)

बता दें कि एक दिन पहले ही छापे के दौरान पुलिस ने सिद्धार्थ वरदराजन और एम के वेणु के घरों से फोन, लैपटॉप जैसे उपकरण जब्त किए हैं। पुलिस ने कहा है कि वे उनके उपकरणों की जाँच करेंगे और सबूत जुटाएँगे। 

अमित मालवीय ने शुक्रवार को द वायर, वरदराजन और संपादकों- सिद्धार्थ भाटिया, वेणु और जाह्नवी सेन के ख़िलाफ़ विशेष पुलिस आयुक्त (अपराध) को शिकायत सौंपी थी। इसके बाद शनिवार को उन पत्रकारों पर धोखाधड़ी, जालसाजी और 'फर्जी रिपोर्ट' प्रकाशित करने का आरोप लगाया गया। इसके अलावा मानहानि, आपराधिक साजिश जैसे आरोप भी लगाए गए हैं।

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मालवीय ने कहा कि मेटा द्वारा साफ़ तौर पर इनकार करने के बावजूद कि रिपोर्ट में फर्जी दस्तावेजों का हवाला दिया गया था, द वायर ने फॉलो-अप रिपोर्टें प्रकाशित कीं।

मालवीय ने कहा कि यह साफ़ है कि द वायर और कुछ अज्ञात व्यक्तियों ने मेरी प्रतिष्ठा को खराब करने के इरादे से एक आपराधिक साजिश रची, जानबूझकर मेरा नाम रिपोर्ट में डाला और मुझे फँसाने के लिए गढ़े हुए सबूत बनाए गए...।

हालाँकि, इस बीच न्यूज पोर्टल द वायर ने खुद पहल करते हुए तमाम मेटा रिपोर्टों को सही न पाए जाने पर खेद जताते हुए वापस ले लिया था यानी उन रिपोर्टों को अपनी वेबसाइट से हटा लिया था। 

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बता दें कि द वायर ने बीजेपी के आईटी सेल के हेड अमित मालवीय को लेकर रिपोर्ट प्रकाशित की थी। उस रिपोर्ट के अनुसार इंस्टाग्राम एकाउंट की कुछ पोस्ट को बिना किसी वेरिफिकेशन के केवल इस वजह से हटाने का दावा किया गया कि इसे अमित मालवीय ने रिपोर्ट किया था। 'द वायर' की रिपोर्ट में कहा गया था कि मेटा के विवादित क्रॉसचेक प्रोग्राम के तहत मालवीय को विशेषाधिकार प्राप्त था। मालवीय को यह अधिकार था कि अगर कोई बात या सामग्री बीजेपी या सरकार विरोधी है तो शिकायत कर उसे वो हटवा सकते थे। साथ ही उन्हें यह भी अधिकार प्राप्त था कि अमित मालवीय इंस्टाग्राम पर नियम विरुद्ध कुछ भी प्रकाशित करें। हालाँकि मेटा ने द वायर के इन आरोपों का खंडन किया था। इन घटनाक्रमों के बाद ही द वायर ने उन सभी रिपोर्टों को हटा लिया था।

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क़मर वहीद नक़वी
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