वे भारतीय भाषाओं के अधिकारों की रक्षा करने वाले संगठन भारतीय भाषा सम्मेलन के अंतिम अध्यक्ष भी थे। वो एक राजनीतिक विश्लेषक और प्रसिद्ध स्तंभकार थे। उन्हें करीब से जानने वाले उन्हें प्रभाष जोशी और राजेंद्र माथुर के स्तर का पत्रकार-लेखक बता रहे हैं। उन्होंने पाकिस्तान जाकर आतंकी अजहर मसूद का इंटरव्यू भी लिया था। एक समय उन्होंने एक बड़े ग्रुप की कुछ लोकप्रिय पत्रिकाओं के नाम खरीद लिए थे, ताकि उन्हें दोबारा प्रकाशित किया जा सके। हालांकि उनका यह मिशन ठीक से पूरा नहीं हो सका।