उर्दू शायरी में वो प्रगतिशील खेमे से थे। कई बार सरकार विरोधी विचारों के कारण उन्हें दक्षिणपंथियों की आलोचना का शिकार होना पड़ा। दुनिया के कई देशों में उन्हें मुशायरों में बुलाया जाता था। पाकिस्तान में उनके चाहने वालों की तादाद भारत से कम नहीं है। इसी तरह दुबई के मुशायरे उनके बिना नहीं हो पाते थे।
सिरफिरे लोग हमें दुश्मन-ए-जां कहते हैं हम तो इस मुल्क की मिट्टी को भी माँ कहते हैं।
नये कमरों में अब चीजें पुरानी कौन रखता है परिंदों के लिए शहरों में पानी कौन रखता है।
उन्हें प्राप्त अन्य पुरस्कारों में अमीर खुसरो पुरस्कार, मीर तकी मीर पुरस्कार, गालिब पुरस्कार, डॉ. जाकिर हुसैन पुरस्कार और सरस्वती समाज पुरस्कार शामिल हैं। उनकी रचनाओं का कई भाषाओं में अनुवाद किया गया है।