दिल्ली ही नहीं देश भर में यह सवाल हर पल बड़ा हो रहा है कि दिल्ली के दंगों के वक़्त (पहले दो दिन) केजरीवाल क्या कर रहे थे? कहाँ ग़ायब थे? वे वैसा कुछ क्यों नहीं करते दिखे जैसा विभाजन के वक्त महात्मा गाँधी जी ने किया था या बाद में जवाहरलाल नेहरू ने किया था। या कुछ दूसरा, कुछ नया, कुछ अनोखा क्यों नहीं किया?
दिल्ली दंगा: सौ टके के सवाल और निहत्थे केजरीवाल
- विचार
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- 29 Feb, 2020

आम लोगों के बीच यह सवाल जोर-शोर से पूछा जा रहा है कि दिल्ली के दंगों के वक़्त (पहले दो दिन) केजरीवाल क्या कर रहे थे? वह कहाँ ग़ायब थे? इसके बाद से कांग्रेस एक बार फिर यह स्थापित करने में जुट गई है कि केजरीवाल आरएसएस की “बी टीम” हैं। इस घटनाक्रम ने उन संभावनाओं पर तगड़ा ब्रेक लगा दिया है जो तीसरी बार दिल्ली जीत के चलते केजरीवाल के पक्ष में देशभर में एकाएक उपजी थीं।
इस सवाल को बड़ा करने वालों में से कोई दिल्ली के दंगास्थल पर नहीं है। यह सवाल कांग्रेस की आईटी सेल व उनके कार्यकर्ता और तमाम लिबरल/लेफ़्ट के लोगों की ओर से उछला है और इसको देश और विदेश में अकलियतों (अल्पसंख्यकों) की सहमति प्राप्त हो रही है। कांग्रेस की नज़र इस पर है इसलिये वह एक बार फिर स्थापित करने में जुट गई है कि केजरीवाल आरएसएस की “बी टीम” हैं। हनुमान चालीसा का पाठ और सरकार बनने के बाद अमित शाह से मुलाक़ात करने के केजरीवाल के चित्र इस स्थापना को आगे बढ़ा रहे हैं। इस घटनाक्रम ने उन संभावनाओं पर तगड़ा ब्रेक लगा दिया है जो तीसरी बार दिल्ली जीत के चलते केजरीवाल के पक्ष में देशभर में एकाएक उपजी थीं।