दिल्ली ही नहीं देश भर में यह सवाल हर पल बड़ा हो रहा है कि दिल्ली के दंगों के वक़्त (पहले दो दिन) केजरीवाल क्या कर रहे थे? कहाँ ग़ायब थे? वे वैसा कुछ क्यों नहीं करते दिखे जैसा विभाजन के वक्त महात्मा गाँधी जी ने किया था या बाद में जवाहरलाल नेहरू ने किया था। या कुछ दूसरा, कुछ नया, कुछ अनोखा क्यों नहीं किया?