तीन तलाक़ की तर्ज़ पर बीजेपी और एनडीए से नाता तोड़ने वाले शिरोमणि अकाली दल ने भी अभी वही कहा है जो शिवसेना ज़रा पहले कह चुकी है कि मौजूदा एनडीए वाजपेयी-आडवाणी के ज़माने वाला नहीं है। नीतीश कुमार भी जब 2015 में बीजेपी से दामन छुड़ाकर भागे थे तब भी यही ‘नैरेटिव’ यानी धारणा बनायी गयी थी। हालाँकि, नये-पुराने एनडीए की बातें विशुद्ध भ्रम हैं। राजनीतिक फ़रेब है। दरअसल, वो भी संघ का सत्ता-काल था और ये भी संघ का ही सत्ता-युग है। वाजपेयी-आडवाणी की तरह ही नरेन्द्र मोदी और अमित शाह की हैसियत भी संघ के मुखौटों जैसी ही है।
‘विपक्ष विहीन भारत’ बनाना ही असली ‘मन की बात’ है!
- विचार
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- 29 Sep, 2020

शिरोमणि अकाली दल ने कहा है कि मौजूदा एनडीए वाजपेयी-आडवाणी के ज़माने वाला नहीं है। क्या इसका इशारा बीजेपी के ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ एजेंडे की तरफ़ नहीं है? क्या बीजेपी का असली लक्ष्य ‘विपक्ष विहीन भारत’ बनाना ही है?
संघ का एक ही एजेंडा है भारतीय लोकतंत्र और संविधान को पूरी तरह से संघ का ग़ुलाम बनाना! यही हिन्दू-राष्ट्र की वो परिकल्पना है जिसका ख़्वाब सावरकर और दीनदयाल उपाध्याय ने देखा था। इसी एजेंडा को ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ कहा गया था। लेकिन इसका असली लक्ष्य ‘विपक्ष विहीन भारत’ बनाना ही है! इसे ही ‘संकल्प से सिद्धि’ वाला ‘नया भारत’ कहा गया है। ‘मन की बात’ इसी का राष्ट्रगान है। संसद हो या सड़क, फ़िलहाल पूरी तेज़ी और तत्परता से ‘विपक्ष विहीन भारत’ बनाने का काम चल रहा है।
मुकेश कुमार सिंह स्वतंत्र पत्रकार और राजनीतिक प्रेक्षक हैं। 28 साल लम्बे करियर में इन्होंने कई न्यूज़ चैनलों और अख़बारों में काम किया। पत्रकारिता की शुरुआत 1990 में टाइम्स समूह के प्रशिक्षण संस्थान से हुई। पत्रकारिता के दौरान इनका दिल्ली