सत्ता की सुगंध इतनी तीक्ष्ण होती है कि उसके जाने के भय मात्र से ही जीवन में तारतम्य खो जाता है। धन्यवाद प्रस्ताव पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण सुनकर यही लगता है। वह यह भूल चुके हैं कि उन्होंने सरकार बनाई है, वो स्वयं सत्ता हैं, उनके पास समस्याओं को सुलझाने के संसाधन उपलब्ध हैं, शक्ति है, इसके बावजूद उनका व्यवहार एक सम्पूर्ण असफल नेता की भाँति लग रहा है। विपक्ष का काम है संसद में जन सरोकार के सवाल उठाना, और ऐसे उठाना कि सरकार में ऐंठन उत्पन्न हो जाये, लेकिन सरकार का काम इससे बेचैन होकर विपक्ष पर व्यक्तिगत हमला करना नहीं है बल्कि उन सवालों का जवाब देना है जिन्हें विपक्ष ने उठाया है।