मोहन भागवत जी के साथ थोड़ी उदारता से सोचने की जरूरत है। भारत में रहने वाले सभी लोगों को वे हिन्दू बताते हैं। सबका डीएनए तक एक बता चुके हैं। वे मानते हैं कि मुसलमानों तक के पूर्वज श्री राम हैं।
मोहन भागवत जी ऊंचा सोचते हैं, नीचे देखते नहीं
- विचार
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- 15 Apr, 2022

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अखंड भारत की बात कही है। क्या संघ ने द्विराष्ट्र का सिद्धांत छोड़ दिया है और मोहन भागवत यति नरसिंहानंद जैसे लोगों पर क्यों नहीं बोलते?
कहने की जरूरत नहीं कि बाकी धर्म के लोगों के भी पूर्वज उनकी सोच में श्री राम ही होंगे। ईसाई, यहूदी, पारसी जैसे धर्म के लोगों के बारे में थोड़ा संकोच वे रखते हैं। कहते हैं कि जिनके भी पूर्वज भारत के हैं (नहीं भी हो सकते हैं), वे श्री राम की संतान हैं।
मोहन भागवत इतनी ऊंची सोच रखते हैं तभी तो ‘अखण्ड भारत’ तक वे सोच पाए हैं। उन्होंने भारत के आगे ‘अखण्ड’ शब्द ही तो जोड़ा है- ‘अखण्ड भारत’। इसका दूसरा मतलब है एकजुट भारत जो आज खण्ड-खण्ड है। भला कश्मीर के बगैर भी ‘अखण्ड भारत’ हो सकता है? वैसे, कश्मीरी पंडितों के बिना कश्मीर भी अखण्ड नहीं हो सकता।